भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर द्वारा राष्ट्रीय महिला किसान दिवस पर जनजातीय क्षेत्र में पशु स्वास्थ्य शिविर व कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन

भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर द्वारा राष्ट्रीय महिला किसान दिवस पर जनजातीय क्षेत्र में पशु स्वास्थ्य शिविर व कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन

15 अक्टूबर, 2025, बीकानेर

भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्‍द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के तहत ग्राम- इशरा, तहसील- पिंडवाड़ा, जिला- सिरोही में आज राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के अवसर पर पशु स्वास्थ्य शिविर व कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

    

डॉ. अनिल कुमार पूनिया, निदेशक, एनआरसीसी, ने केन्‍द्र की वैज्ञानिक टीम के माध्‍यम से प्रेषित संदेश में कहा कि कृषि व पशुपालन का समन्वय ग्रामीण, विशेषकर जनजातीय, आजीविका की, सुदृढ़ आधारशिला है। उन्होंने कहा कि पशुओं की- स्वच्छता, पोषण व स्वास्थ्य की वैज्ञानिक देखभाल से उत्पादन व किसानों की आय दोनों बढ़ते हैं। उन्होंने मादा ऊँट के दूध के औषधीय उपयोग व इनके उत्पादों के मूल्य संवर्धन के माध्यम से रोजगार व आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रभावी माध्यम के बारे में चर्चा किया।

डॉ. श्याम सुंदर चौधरी, नोडल अधिकारी, टीएसपी, एनआरसीसी, ने कहा कि संबद्ध क्षेत्रों में जनजातीय उप-योजना के तहत पशुपालन व्यवसाय को प्रोत्साहन व आजीविका सुधार हेतु संचालित की जा रही है। उन्होंने समन्वित कृषि, उत्पादों के मूल्य संवर्धन व मादा ऊँट के दूध की उपयोगिता पर बल देते हुए पशुपालकों, विशेषकर महिलाओं, को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।

   

डॉ. चंद्र मुनि बडोले, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, सिरोही ने कहा कि नियमित टीकाकरण से पशुधन की उत्पादकता बढ़ती है और पशुपालकों की आय में उल्लेखनीय सुधार होता है।

श्री सेवाराम, सदस्य, पशुधन विकास समिति, सिरोही ने एनआरसीसी के इस उप-योजना गत जनहितकारी प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम जनजातीय समुदाय की सामाजिक व आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. काशी नाथ, पशु चिकित्‍सा अधिकारी ने बताया कि विशेषज्ञों ने पशु स्वास्थ्य व उन्नत तकनीकों पर प्रशिक्षण देकर महिला किसान दिवस पर ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन व रोग निदान के प्रति जागरूक किया।

शिविर में कुल 1,400 पशुओं का उपचार व टीकाकरण किया गया, जिसमें ऊँट 509, गाय 74, भैंस 319 और भेड़-बकरी 498 शामिल था। इस दौरान रोग निदान हेतु नमूने लिए गए और पशुपालकों को दवाइयां, किट, विस्‍तार पत्रिका सामग्री व पशु आहार आदि भी वितरित किया गया।

173 पशुपालकों (महिला व पुरुष) ने इस कार्यक्रम से लाभ उठाया।

(भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकानेर)

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