बागवानी विज्ञान प्रभाग, भाकृअनुप के सबसे बड़े प्रभागों में से एक है, जो अपने 12 राष्ट्रीय संस्थानों, 5 निदेशालयों, 6 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों, 11 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं (एआईसीआरपी) तथा 5 अन्य परियोजनाओं के माध्यम से भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों/ केन्द्रीय और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (सीएयू/ एसएयू) में स्थित अपने 355 केन्द्रों के माध्यम से फलों, सब्जियों, बागान फसलों, कंद फसलों, फूलों, औषधीय एवं सुगंधित पौधों तथा मसालों की उच्च उपज वाली किस्मों के विकास के लिए अनुसंधान कार्यक्रम चलाता है।
उपरोक्त सभी संस्थानों/ एआईसीआरपी/ अन्य परियोजनाओं को पांच प्रमुख योजनाओं में वर्गीकृत किया गया है।
- उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण फल फसलों का सुधार एवं प्रबंधन।
- जड़, कंद, बल्बनुमा और शुष्क फसलों का सुधार एवं प्रबंधन।
- सब्जी फसलों, फूलों की खेती तथा मशरूम का सुधार एवं प्रबंधन।
- बागान फसलों, मसालों, औषधीय और सुगंधित पौधों एवं द्वीपीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का सुधार तथा प्रबंधन।
- बागवानी फसलों में जीनोम संपादन के माध्यम से जलवायु लचीलापन सक्षम करना और खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना।
वर्ष 2014 से 2023 के दौरान भाकृअनुप के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) ने बागवानी फसलों की 485 उन्नत किस्में जारी और अधिसूचित की हैं। इनमें फलों की फसलों में 42, फूलों और अन्य सजावटी फसलों में 23, बागानों की फसलों में 17, आलू तथा उष्णकटिबंधीय कंद फसलों में 52, मसालों में 55 तथा सब्जी फसलों में 296 किस्में शामिल हैं। ये किस्में उच्च उपज देने वाली, विभिन्न जैविक तथा अजैविक तनावों के प्रति सहनशील एवं उन्नत गुणवत्ता वाली हैं और देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त हैं।
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