चिकन जेनेटिक रिसोर्स के कंजर्वेशन एवं डेवलपमेंट के लिए पीजीसी बायोबैंकिंग तथा सरोगेट तकनीकी पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

चिकन जेनेटिक रिसोर्स के कंजर्वेशन एवं डेवलपमेंट के लिए पीजीसी बायोबैंकिंग तथा सरोगेट तकनीकी पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

27–31 अक्टूबर, 2025, इज्जतनगर

भाकृअनुप–केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, आईएलआरआई–दिल्ली, आएलआरआई–इथियोपिया, सीटीएलजीएच, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग, और आएलआरआई–नैरोबी ने मिलकर 27 से 31 अक्टूबर, 2025 तक भाकृअनुप-सीएआरआई, इज्जतनगर में ‘चिकन जेनेटिक रिसोर्स के संरक्षण एवं विकास के लिए पीजीसीज बायो बैंकिंग और सरोगेट टेक्नोलॉजी’ पर एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन की गई।

International Workshop on PGCs Biobanking and Surrogate Technology for Conservation and Development of Chicken Genetic Resources

कार्यशाला को डॉ. जे.एस. त्यागी, निदेशक (ए), भाकृअनुप-सीएआरआई, ने होस्ट किया तथा इसे डॉ. सिम्मी तोमर, कोर्स निदेशक ने समन्वय किया। इसमें प्रोफेसर मिजेक चागुंडा (सीटीएलजीएच), डॉ. राम प्रतिम डेका (आईएलआरआई-भाकृअनुप, दिल्ली), प्रोफेसर माइक मैकग्रेव और डॉ. मार्सेल हेनरिक ब्लैंक (द रोसलिन इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग), डॉ. क्रिश्चियन केम्बू टियाम्बो (आईएलआरआई-केन्या), डॉ. क्रिस्टीन कामिदी मुहोंजा (केएएलआरओ), और प्रोफेसर ओलिवियर हनोटे (आईएलआरआई-इथियोपिया) का सहयोग था।

पांच दिन की वर्कशॉप में लेक्चर, डेमोंस्ट्रेशन और हैंड्स-ऑन वेट लैबोरेटरी सेशन शामिल थे, जिसके दौरान भाकृअनुप के संस्थान, राज्य कृषि विश्विद्यालय (एसएयू) और वाइल्डलाइफ अनुसंधान संस्थान के सोलह वैज्ञानिकों को पोल्ट्री जेनेटिक डाइवर्सिटी के लिए बाह्य-स्थानिक संरक्षण तकनीकी में ट्रेनिंग दी गई।

International Workshop on PGCs Biobanking and Surrogate Technology for Conservation and Development of Chicken Genetic Resources

प्रतिभागियों को चिकन के प्राइमोर्डियल जर्म सेल्स (पीजीसीज) स्टेम सेल्स के आइसोलेशन, प्रोपेगेशन और क्रायो-कंजर्वेशन के बारे में गहरी जानकारी और व्यवहारिक अनुभव मिला, जो गैमीट (अंडाणु और स्पर्म) में अलग हो सकते हैं। ये तकनीकें एवियन जेनेटिक बायोडायवर्सिटी को बचाने के लिए लेटेस्ट टूल्स हैं।

प्रोग्राम फ्रेमवर्क के तहत, ट्रेनीज़ ने ब्लड, ब्लास्टोडर्म और गोनोडल टिशू से सर्कुलेटिंग पीजीसीज को सफलतापूर्वक आइसोलेट किया, जिसके बाद इन विट्रो कल्चर और क्रायोप्रिजर्वेशन प्रोसीजर पर कार्य किया गया। कार्यशाला ने पोल्ट्री जेनेटिक रिसोर्स के कंजर्वेशन तथा सस्टेनेबल डेवलपमेंट हेतु एडवांस्ड रिप्रोडक्टिव बायोटेक्नोलॉजी में राष्ट्रीय क्षमता को काफी बढ़ाया।

(स्रोत: भाकृअनुप–केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर)

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