भाकृअनुप-सीबा ने खारे पानी में जलजीव पालन के विकास को बढ़ावा देने हेतु गोवा सरकार के साथ एमओयू पर किया हस्ताक्षर

भाकृअनुप-सीबा ने खारे पानी में जलजीव पालन के विकास को बढ़ावा देने हेतु गोवा सरकार के साथ एमओयू पर किया हस्ताक्षर

5 नवंबर, 2025, गोवा

भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन अनुसंधान संस्थान, चेन्नई ने आज मत्स्य निदेशालय, गोवा सरकार, के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। यह राज्य में खारा जलजीव पालन के ज़िम्मेदार और टिकाऊ विकास के लिए है। इस कोलेबोरेशन का मकसद गोवा में मछली और झींगा उत्पादन को बढ़ाना, आजीविका को मज़बूत करना तथा जलजीव पालन पर आधारित ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है।

इस एमओयू पर डॉ. कुलदीप के. लाल, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा, चेन्नई, और डॉ. शमिला मोंटेइरो, मत्स्य निदेशक, गोवा सरकार, ने गोवा विधायी सचिवालय, ऑल्टो-पोरवोरिम में श्री प्रसन्ना आचार्य, आईएएस, सचिव (मत्स्य पालन विभाग), गोवा सरकार की मौजूदगी में हस्ताक्षर किया।

इस साझेदारी के तहत, मत्स्य निदेशालय, भाकृअनुप-सीबा, के साथ मिलकर कई काम करेगा, जिसमें तटीय एवं अंदरूनी खारे पानी के रिसोर्स की मैपिंग, सुपर-इंटेंसिव प्रिसिजन और प्राकृतिक श्रिम्प फार्मिंग का प्रदर्शन, खारे पानी की फिनफिश और शेलफिश के लिए केज फार्मिंग क्षेत्र का विकास, और आजीविका पर आधारित जलजीव पालन संरचना मॉडल का लागू किया जाना शामिल है। इस समझौता में मत्स्य पालक अधिकारियों एवं किसानों के लिए कैपेसिटी-बिल्डिंग प्रोग्राम भी शामिल हैं, ताकि राज्य के तटीय इकोसिस्टम के हिसाब टिकाऊ तथा रचनात्मक जलजीव पालन प्रथा को बढ़ावा दिया जा सके।

इस मौके पर बोलते हुए, श्री प्रसन्ना आचार्य, आईएएस, ने एशियन सीबास, श्रिम्प और मड क्रैब जैसी हाई-वैल्यू स्पीशीज़ के लिए इनोवेटिव खारे पानी की फार्मिंग टेक्नोलॉजी अपनाने की इंपॉर्टेंस पर ज़ोर दिया, और प्रोडक्शन बढ़ाने, रोजी-रोटी को मजबूत करने और गोवा में एक्वा-टूरिज्म के लिए रास्ते खोलने की उनकी पोटेंशियल पर रोशनी डाली।

ICAR-CIBA Signs MoU with Government of Goa to Promote Brackishwater Aquaculture Development

डॉ. कुलदीप के. लाल, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा, ने बताया कि गोवा, अपनी 131 कि.मी. लंबी तटी रेखा के साथ, खारे पानी के एक्वाकल्चर को डेवलप करने की काफी संभावना रखता है। उन्होंने देखा कि गोवा के मल्टी-कुज़ीन मार्केट में झींगा और सीबास जैसी स्पीशीज़ की लोकल डिमांड बहुत ज्यादा है, जो सस्टेनेबल एक्वाकल्चर के जरिए आजीविका कमाने और मूल्य श्रृंखला के विकास के अच्छे मौके देती हैं।

डॉ. शमिला मोंटेइरो, मत्स्य निदेशक, गोवा सरकार, ने इस बात पर ज़ोर दिया कि खारे पानी का एक्वाकल्चर, महिलाओं समेत तटीय मछुआरों के लिए आजीविका का एक अच्छा विकल्प बन सकता है, जिससे राज्य में मछली प्रोडक्शन बढ़ाने, इनकम में विविधीकरण और रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।

इस इवेंट को सीबा-नवसारी गुजरात रिसर्च सेंटर (एनजीआरसी) के डॉ. अक्षय पानीग्रही, प्रिंसिपल साइंटिस्ट और ऑफिसर-इन-चार्ज; श्री पंकज पाटिल, साइंटिस्ट, सीबा-एनजीआरसी; श्री चंद्रकांत वेलिप, डॉ. स्मिता मजूमदार, उप-निदेशक मात्स्यिकी; तथा श्रीमती जिज्ञासा मुरकर, सहायक सुपरिंटेंडेंट मात्स्यिकी, गोवा सरकार, ने किया।

यह कोलेबोरेशन, ब्लू इकॉनमी ग्रोथ, रोजी-रोटी की सुरक्षा और जिम्मेदार एक्वाकल्चर डेवलपमेंट के नेशनल लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाते हुए, सस्टेनेबल खारे पानी के एक्वाकल्चर के लिए गोवा के तटीय पोटेंशियल का इस्तेमाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन अनुसंधान संस्थान, चेन्नई)

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