5 नवंबर, 2025, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने आज भारत मंडपम, नई दिल्ली में हुए इमर्जिंग साइंस, तकनीकी तथा आविष्कार सम्मेलन (आएसटीआईसी) 2025 में ‘उभरती हुई कृषि संबंधित तकनीकी पर विषय आधारित सत्र का नेतृत्व किया। इस सत्र में सटीक खेती, ओमिक्स शोध और फार्म ऑटोमेशन जैसे सीमांत क्षेत्र पर रोशनी डाली गई, और ऐसे इनोवेशन दिखाए गए जो भारतीय कृषि का भविष्य बना रहे हैं।
सेशन की अध्यक्षता, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), ने की, जबकि मुख्य संबोधन डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, चेयरपर्सन, प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज़ एंड फार्मर्स राइट्स अथॉरिटी (पीपीवी एवं एफआरए), तथा पूर्व सेक्रेटरी (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), ने दिया।

‘सटप्रिसिजन, ओमिक्स और ऑटोमेशन के जरिए भारतीय खेती को बदलना: विकसित भारत 2047 के रास्ते’ थीम पर एक पैनल डिस्कशन को डॉ. श्याम नारायण झा, उप-महानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी), भाकृअनुप, ने मॉडरेट किया।
इस चर्चा में जाने-माने एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया, जिनमें डॉ. उषा बरवाले जहर, कार्यकारी निदेशक और चेयरपर्सन, ग्रो इंडिगो प्राइवेट लिमिटेड, महाराष्ट्र; श्री सचिन हेगड़ेकुडगी, फाउंडर और सीईओ, रूट्स गुड्स, बेंगलुरु; डॉ. नचिकेत कोटवालीवाले, निदेशक, भाकृअनुप–केन्द्रीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, लुधियाना; प्रो. शांतनु चौधरी, आईआईटी, दिल्ली तथा पूर्व निदेशक, आईआईटी जोधपुर; प्रो. के.सी. बंसल, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप–राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो; डॉ. ए. बंद्योपाध्याय, पूर्व सहायक महानिदेशक एवं निदेशक, राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केन्द्र; तथा श्री अभिलाष सेठी, इन्वेस्टमेंट डायरेक्टर, ओमनिवोर, बेंगलुरु, शामिल थे।
मुख्य सुझाव:
• साइलो-बेस्ड तरीकों से समावेशी, व्यवस्था-आधारित समाधान की ओर शिफ्ट करें जो टिकाऊ और विभिन्न क्षेत्रों के बीच तालमेल सुनिश्चित करें।
• पोषण और स्वास्थ्य पर फोकस करने वाली अगली पीढ़ी की खेती के लिए ओमिक्स रिसर्च और कृत्रिम बायोलॉजी को आगे बढ़ाएं।
• छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए खास तौर पर सटीक कृषि, मशीनीकरण और ऑटोमेशन को बढ़ावा दें।
• क्षेत्रीय खाद्य व्यवस्था को मजबूत करने और कृषि-जैवविविधता को बढ़ाने के लिए डिजिटल और डाटा-आधारित खेती का इस्तेमाल करें।
• मूल्य श्रृंखला में गुणवत्ता के प्रति भरोसा और खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सेंसर और कॉग्निटिव कंप्यूटिंग को समाहित करें।
• परित ऊर्जा कृषि तथा प्रभावी भंडारण तकनीकी के विकास को बढ़ावा दें।
• सरकारी संस्थान, निजी उद्योग, स्टार्टअप और किसान उत्पादक संगठन को जोड़ने वाले समावेशी कृषि तकनीकी आविष्कार पारितंत्र एवं क्षमता निर्माण प्लेटफॉर्म बनाएं।
• सिंथेटिक बायोलॉजी और कृषि डाटा शासन के लिए नैतिक, कानूनी और सामाजिक सुरक्षा का विकास करें।
• टिकाऊपन के लिए सिस्टम-वाइड बदलाव को मुमकिन बनाने हेतु एक टिकाऊ खाद्य व्यवस्था फ़ंड बनाएँ।
• आविष्कार से होने वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए ओमिक्स, कृषि में रोबोटिक्स तथा कृत्रिम मेधा में उत्कृष्टता केन्द्र बनाएँ। इएसटीआईसी 2025 में उभरती कृषि तकनीकी पर एक विषय-वस्तु आधारित सत्र का नेतृत्व करें।

उभरती कृषि तकनीकी: आगे का रास्ता बनाना
उभरती कृषि तकनीकी खाद्य फूड प्रोडक्शन के माहौल को बदल रही हैं, जिससे खेती ज्यादा कुशल, टिकाऊ और मज़बूत हो रही है। सटीक कृषि, ओमिक्स-बेस्ड रिसर्च, स्वचालन, कृत्रिम मेधा सुदूर संवेदन तथा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म में इनोवेशन, डाटा-आधारित फैसले लेने एवं रिसोर्स के इस्तेमाल को ऑप्टिमाइज़ करने में मदद कर रहे हैं। सिंथेटिक बायोलॉजी, एग्री-रोबोटिक्स, कृत्रिम मेधा-सक्षम कृषि व्यवस्था तथा हरित उर्जा समाधान में तरक्की, आधुनिक कृषि को नए सिरे से परिभाषित कर रही है, जिससे फसल प्रबंधन बेहतर हो रहा है, मिट्टी की सेहत बेहतर हो रही है और पर्यावरणीय फुटप्रिंट कम हो रहे हैं। ये आविष्कार किसानों, खासकर छोटे एवं सीमांत किसानों को मार्जिनल होल्डर्स को मज़बूत बनाते हैं, साथ ही एग्री-फ़ूड वैल्यू चेन में खाद्य सुरक्षा, मूल्य संवर्धन और जानकारी प्राप्त करने की क्षमता को मज़बूत करता है।
इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कॉन्क्लेव (इएसटीआसी) अनुसंधानकर्ता, नीति निर्माता, उद्यमी और खोजकर्ताओं के लिए एक खास प्लेटफॉर्म है, जहाँ वे देश के साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल भविष्य को आकार देने वाले फ्रंटियर डेवलपमेंट्स पर बातचीत कर सकते हैं। यह आयोजन कृत्रिम मेधा, बायोटेक्नोलॉजी, नैनो टेक्नोलॉजी, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान तथा डिजिटल बदलाव जैसे क्षेत्र में हुई नई खोजों को दिखाता है।

शैक्षणिक समुदाय, उद्योग जगत तथा सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, यह कॉन्क्लेव साइंस पर आधारित ग्रोथ के लिए भारत के कमिटमेंट को मज़बूत करता है और आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया और साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पॉलिसी (एसटीआपी) जैसे नेशनल मिशन्स के साथ जुड़ाव होता है। यह युवा वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स को एक विकसित भारत के लिए ज्ञन आधारित, तकनीकी रूप से प्रेरित अर्थव्यवस्था के निरमाण करने में योगदान देने के लिए भी प्रेरित करता है।
कॉन्क्लेव में देश भर से 1,339 रजिस्टर्ड प्रतिभागियों ने शिरकत की, जो शैक्षणिक, अनुसंधान संस्थान, उद्योग-जगत और स्टार्टअप्स का प्रतिनिधित्व करता था। चर्चाओं में विकसित भारत 2047 के विजन को पाने के लिए समावेशी इनोवेशन इकोसिस्टम और उच्च स्तरीय तकनीकी के नैतिक इस्तेमाल की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया।







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