2 दिसंबर, 2025, तमिलनाडु
भाकृअनुप-राष्ट्रीय समेकित कीट प्रबंधन केन्द्र, नई दिल्ली, ने भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, करूर, के सहयोग से आज करूर जिले के कुलितलाई में इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आपीएम) पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया तथा कृषि इनपुट वितरण किया। यह कार्यक्रम एससीएसपी योजना “अनुसूचित जाति के किसानों का उत्थान” के तहत आयोजित किया गया था और इसमें पराली एवं वलंतूर गांवों के किसानों और महिला किसानों ने भाग लिया।
डॉ. शेख एन. मीरा, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधन दिया और किसानों से आय बढ़ाने हेतु उत्पादक से उद्यमी बनने का आग्रह किया। उन्होंने धान के बीज उत्पादन, केले एवं नारियल में वैल्यू एडिशन, बेहतरीन रूटस्टॉक के साथ आम के बागों का कायाकल्प, देसी मुर्गी पालन, बेहतर पैकेजिंग और ब्रांडिंग, नाबार्ड के सहयोग से वैज्ञानिक पशुपालन पद्धतियों को अपनाने तथा एसएचजी महिलाओं के लिए उद्यमिता के अवसरों पर प्रकाश डाला।

डॉ. आर. थंगावेलु, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरआईआईपीएम ने केवीके, भाकृअनुप संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से वैज्ञानिक मार्गदर्शन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने असुरक्षित कीटनाशक मिश्रणों के प्रति आगाह किया तथा खेती की लागत को कम करने के लिए इंटीग्रेटेड पेस्ट एंड डिजीज मैनेजमेंट (आपीडीएम) को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने धान और केले के लिए उपज बढ़ाने वाली तकनीकों के बारे में भी बताया और आजीविका सुधार के लिए कृषि मशीनरी और सिलाई मशीनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
डॉ. आर. सेल्वराजन, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय केला अनुसंधान संस्थान, तिरुचिरापल्ली, ने वैल्यू एडिशन में प्रशिक्षण सहायता का आश्वासन दिया, जबकि श्री एस. सिंगाराम, संयुक्त कृषि निदेशक ने किसान पहचान संख्या और पीएम-किसान पंजीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
श्री जी. अजीतहन, प्रबंध निदेशक, तमिलनाडु बनाना प्रोड्यूसर कंपनी ने केले की खेती के लिए नवाचार और छोटे, मेहनत कम करने वाले उपकरणों के विकास को प्रोत्साहित किया। टीएनएयू, एनएबीएआरडी, भाकृअनुप-एनआरसीबी तथा कृषि एवं बागवानी विभागों के अधिकारियों ने भी सभा को संबोधित किया।

कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, प्रमुख कृषि उपकरण वितरित किए गए, जिसमें किसान समूहों के लिए दो वीएसटी शक्ति पावर टिलर, दो मोटराइज्ड चारा कटर, 100 बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर, 85 फावड़े, 85 सब्बल और 20 हंसिया शामिल थे। इसके अलावा, इनकम कमाने के लिए एलएचजी महिलाओं को 16 पावर-ऑपरेटेड सिलाई मशीनें दी गईं।
टेक्निकल सेशन में केले में इंटीग्रेटेड डिजीज मैनेजमेंट पर एक लेक्चर हुआ, साथ ही मिट्टी के सैंपल, सॉइल हेल्थ कार्ड, न्यूट्री-गार्डन के लिए फलों के पौधे, बायो-इनपुट, ऑर्गेनिक खेती के इनपुट, वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट, चारे की पर्चियां, बीज और पशुधन फ़ीड सप्लीमेंट दिखाने वाली एक प्रदर्शनी भी लगाई गई।
इस कार्यक्रम से 310 प्रतिभागियों को फायदा हुआ, जिसमें 186 किसान और 124 किसान महिलाएं शामिल थीं, और इसे स्थानीय प्रेस और मीडिया में कवरेज मिला।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय समेकित कीट प्रबंधन केन्द्र, नई दिल्ली)







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