भाकृअनुप-आईएआरआई ने कृषि शिक्षा तथा नवाचार पर प्रेरक चिंतन के साथ शिक्षक दिवस 2025 का किया आयोजन

भाकृअनुप-आईएआरआई ने कृषि शिक्षा तथा नवाचार पर प्रेरक चिंतन के साथ शिक्षक दिवस 2025 का किया आयोजन

5 सितंबर, 2025, नई दिल्ली

भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के ग्रेजुएट स्कूल तथा जेनेटिक्स क्लब ने आज संस्थान में शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया, जिसमें शिक्षा जगत एवं समाज में शिक्षकों के शाश्वत योगदान को याद किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता, डॉ. रमेश चंद, सदस्य, नीति आयोग ने की जिन्होंने, मुख्य वक्ता, डॉ. संजय कुमार, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड का गर्मजोशी से परिचय कराया। इस कार्यक्रम में, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई; डॉ. सी. विश्वनाथ, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान); डॉ. अनुपमा सिंह, डीन एवं संयुक्त निदेशक (शिक्षा); तथा डॉ. आर.एन. पडारिया, संयुक्त निदेशक (विस्तार) सहित संकाय, शोधार्थी, छात्र, कर्मचारी तथा पूर्व छात्र भी उपस्थित थे।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. चंद ने भाकृअनुप-आईएआरआई के शिक्षकों की सराहना की और इस बात पर प्रकाश डाला कि संस्थान की शैक्षणिक परंपराओं तथा मूल्यों ने भारत में कृषि शिक्षा तथा अनुसंधान को नई दिशा दी है। अपने छात्र जीवन को याद करते हुए, उन्होंने शिक्षक-छात्र संबंधों के चिरस्थायी महत्व पर ज़ोर दिया और कहा कि यह ज्ञान और नवाचार की नींव रखता है।

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शिक्षक दिवस पर व्याख्यान देते हुए, डॉ. संजय कुमार ने कहा कि "एक बार शिक्षक, हमेशा शिक्षक", और उन्होंने शिक्षण पेशे की शाश्वत प्रकृति को रेखांकित किया। उन्होंने भाकृअनुप-आईएआरआई को "कार्यरत भारत: कृषि ज्ञान का प्रतीक" बताया और भारत के कृषि विकास को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उन्होंने इस दर्शन को दोहराया कि भारत की खाद्य सुरक्षा आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशी संसाधनों पर आधारित होनी चाहिए।

डॉ. कुमार ने युवा शोधकर्ताओं से असंभव प्रतीत होने वाली चुनौतियों का सामना करने का आग्रह किया और कहा कि ऐसे प्रयासों से कई महान खोजें सामने आती हैं। उन्होंने भारत में हींग की सफल रोपाई, इस मसाले के बढ़ते महत्व, जम्मू-कश्मीर में ट्यूलिप गार्डन पहल को किसान आत्मनिर्भरता के एक आदर्श के रूप में, और ठंडे रेगिस्तानों में शुष्क शौचालयों को विज्ञान द्वारा समाज की सेवा के एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करने जैसे कृषि नवाचारों पर भी प्रकाश डाला।

छात्रों और वैज्ञानिकों से अपने निष्कर्षों को समय पर दर्ज करने का आग्रह करते हुए, डॉ. कुमार ने समुदायों के साथ जुड़े रहने तथा धैर्य, दृढ़ता और प्रतिबद्धता के साथ उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाया, "धैर्य का फल मिलता है, और ठोस सफलता हमेशा समय लेती है।"

गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, डॉ. श्रीनिवास राव ने कृषि एवं संबद्ध विश्वविद्यालयों में एनआईआरएफ-2025 में भाकृअनुप-आईएआरआई को प्रथम स्थान और सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देने वाले संस्थानों में राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त करने के लिए संस्थान समुदाय को बधाई दी।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

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