महानिदेशक, भाकृअनुप ने राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम के तहत डेयर/ भाकृअनुप के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण का किया उद्घाटन

महानिदेशक, भाकृअनुप ने राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम के तहत डेयर/ भाकृअनुप के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण का किया उद्घाटन

20 जून, 2025, नई दिल्ली

डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने डेयर/भाकृअनुप के अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य मानव संसाधन विकास को विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण के साथ जोड़ना है।

अपने संबोधन में, डॉ. जाट ने इस बात पर जोर दिया कि ‘कर्मयोगी’ केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि गहरे मूल्यों और उद्देश्यपूर्ण कार्यों में निहित एक दर्शन है। उन्होंने कर्मयोगी के प्रौद्योगिकी-संचालित, पारदर्शी, नवोन्मेषी, सहानुभूतिपूर्ण और सक्रिय होने के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डाला और संगठन के भीतर व्यावसायिकता, सकारात्मकता एवं उद्देश्य की संस्कृति विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने एक आनंदमय, जुड़े हुए कार्य वातावरण को बनाने के महत्व पर भी जोर दिया तथा सामाजिक वैज्ञानिकों की मदद से प्रशिक्षण परिणामों के नियमित प्रभाव आकलन को प्रोत्साहित किया।

उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक कर्मचारी को भाकृअनुप के ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य करना चाहिए तथा संगठन के सभी स्तरों पर सहानुभूति और आपसी सम्मान के साथ इसके मिशन में योगदान देना चाहिए।

डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (कृषि शिक्षा एवं मत्स्य विज्ञान) ने इस बात पर जोर दिया कि एक कर्मचारी का काम भाकृअनुप के लोकाचार को दर्शाता है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे नियमित कार्यों से आगे बढ़कर सहानुभूति, मार्गदर्शन और आत्म-जागरूकता से निर्देशित होकर उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। उन्होंने कल्याण, तनाव प्रबंधन और कार्य-जीवन संतुलन पर iGOT मॉड्यूल की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला।

डॉ. ए.के. नायक, उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) ने इस बात पर जोर दिया कि सच्चे कर्मयोगी समर्पण, संतुलन तथा समानता की भावना के साथ सेवा करते हैं। उन्होंने प्रशिक्षण को प्रभावशाली कार्रवाई में बदलने के लिए आवश्यक मानसिकता परिवर्तन और दैनिक कार्य जीवन में सेवा भाव का अभ्यास करने के महत्व के बारे में बात की।

मिशन कर्मयोगी के नोडल अधिकारी और सहायक महानिदेशक (एचआरएम), डॉ. शांति कुमार शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और योग्यता-आधारित प्रशिक्षण को लागू करने में भाकृअनुप की यात्रा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 9,200 से अधिक कर्मचारियों को आईजीओटी प्लेटफॉर्म पर शामिल किया गया है और 2023-24 से भाकृअनुप ने मिशन कर्मयोगी पहल के तहत सीखने और विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है।

प्रशिक्षण पेडगॉग ऐप के माध्यम से चार मॉड्यूल में दिया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक सत्र 90 मिनट का है। क्षमता निर्माण आयोग द्वारा प्रशिक्षित चार मास्टर ट्रेनर श्री कुमार राजेश, श्री जयंत दास, श्री अजय गौतम और श्री राजेश कुमार झा ने मिशन कर्मयोगी के विजन, व्यवहार परिवर्तन, व्यक्तिगत विकास और राष्ट्र निर्माण में सार्वजनिक सेवा की भूमिका को कवर करते हुए सत्रों का नेतृत्व किया।

प्रशिक्षण में एडीजी, वैज्ञानिक, प्रशासनिक, तकनीकी और मल्टी-टास्किंग स्टाफ की भागीदारी देखी गई।

(स्रोत: कृषि शिक्षा प्रभाग, भाकृअनुप)

×