24 अप्रैल, 2025, नई दिल्ली
"कृषि और किसान आईसीएआर के लिए सर्वोपरि हैं" - डॉ. एम.एल. जाट
भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली ने नवनियुक्त सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), डॉ. एम एल जाट के साथ एक बातचीत बैठक का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-आईएआरआई के निदेशक, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप के सहयोगी संस्थानों के निदेशक, विभिन्न विभागों के प्रमुख, वरिष्ठ वैज्ञानिक, संकाय सदस्य, शोधकर्ता और छात्र शामिल हुए, जिन्होंने डॉ. जाट का गर्मजोशी से स्वागत किया।
अपने प्रेरक संबोधन में, डॉ. जाट ने जोर दिया कि भाकृअनुप का प्राथमिक लक्ष्य किसानों की समृद्धि और अमृत काल के दौरान भारतीय कृषि का समग्र विकास है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी शोध प्रयासों को इस लक्ष्य के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने स्थानीय जरूरतों को संबोधित करते हुए वैश्विक परिप्रेक्ष्य के साथ अनुसंधान करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
तीन प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का जिक्र करते हुए डॉ. जाट ने वैज्ञानिक समुदाय से इन मुद्दों के समाधान के उद्देश्य से अनुसंधान को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। उन्होंने लचीली फसल प्रणाली, पोषण-संवेदनशील कृषि, मजबूत सामाजिक विज्ञान अनुसंधान तथा बाजार उन्मुख कृषि प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. जाट ने यह भी बताया कि कृत्रिम मेधा, मशीन लर्निंग, छोटे-तटस्थ मशीनीकरण जैसी उन्नत तकनीकों की वास्तविक उपयोगिता छोटे किसानों तक उनकी पहुंच में निहित है। उन्होंने भाकृअनुप-आईएआरआई से इन तकनीकों को जमीनी स्तर पर किसान-अनुकूल तथा प्रभावशाली बनाने का नेतृत्व करने का आग्रह किया। कृषि शिक्षा पर बोलते हुए उन्होंने एक वैज्ञानिक नेतृत्व तथा मार्गदर्शन-उन्मुख मॉडल का आह्वान किया जो छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार करता है। उन्होंने कहा, “विज्ञान हमारा मुख्य व्यवसाय है, और हमें इसका पूरा समर्थन करना चाहिए।” महानिदेशक ने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘व्यापार करने में आसानी’ की अवधारणा को सामूहिक नेतृत्व के माध्यम से ‘बाधा मुक्त विज्ञान’ की वास्तविकता में विकसित किया जाना चाहिए।
डॉ. जाट ने उत्पादन से लेकर उपभोग तक कृषि-खाद्य प्रणाली में विज्ञान और टीमवर्क के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की वकालत की। उन्होंने प्लॉट स्तर से लेकर लैंडस्केप पैमाने तक प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन अनुसंधान को मजबूत करने का आह्वान किया। भाकृअनुप को वैश्विक रूप से दृश्यमान बनाना, दोहरी डिग्री कार्यक्रम शुरू करना, किसान-उन्मुख अनुसंधान को बढ़ावा देना, वास्तविक समय में किसानों की समस्याओं का समाधान करना तथा एफपीओ के लिए व्यवसाय योजना बनाना प्रमुख फोकस क्षेत्र होने चाहिए, जो वैश्विक मेगा-ट्रेंड और अमृत काल के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित हों।

उन्होंने भाकृअनुप की उपलब्धियों को बेहतर ढंग से उजागर करने के लिए विस्तार प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। अनुसंधान प्राथमिकताओं को प्री-प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन दोनों चरणों की ओर उन्मुख होना चाहिए, जिसमें बाजार की खुफिया जानकारी और मजबूत सामाजिक विज्ञान अनुसंधान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप के पास एक मजबूत डेटा बैंक है, और एक अच्छी तरह से संरचित डेटा शेयरिंग नीति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों को आकर्षित कर सकती है।
इस अवसर पर डॉ. राव ने डॉ. जाट के वैश्विक दृष्टिकोण और नेतृत्व की सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि उनके मार्गदर्शन में भाकृअनुप नई ऊंचाइयों को छुएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान, नीति निर्माण और नवाचार कार्यान्वयन में डॉ. जाट के अनुभव से भारत के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को बहुत लाभ होगा।
समारोह के दौरान उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), डॉ. डी.के. यादव, दिल्ली स्थित भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक और भाकृअनुप-आईएआरआई के डीन तथा संयुक्त निदेशक (विस्तार) ने भी बधाई दी और डॉ. जाट के नेतृत्व में भाकृअनुप के विजन एवं मिशन को पूर्ण समर्थन देने का संकल्प लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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