17 जनवरी, 2025, नई दिल्ली
भाकृअनुप ने आज एनएएससी कॉम्प्लेक्स, भाकृअनुप में आयोजित एक समारोह के दौरान 2023 और 2025 के बीच पंजीकृत पशु नस्लों के आवेदकों को सम्मानित किया।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने देशी जर्मप्लाज्म पर संप्रभुता का दावा करने तथा उनकी विशेषताओं का दस्तावेजीकरण करने के लिए नस्ल पंजीकरण में शामिल नस्ल के आवेदकों और हितधारकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये देशी नस्लें टिकाऊ कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। डॉ. पाठक ने स्वदेशी पशु आनुवंशिक संसाधनों (एएनजीआर) को संरक्षित करने के भारत के प्रयासों की वैश्विक मान्यता के बारे में भी बात की और विशेष रूप से पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के संबंध में प्रारंभिक नस्ल प्रलेखन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संभावित नस्लों की खोज में अपने केन्द्रित प्रयासों के लिए भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की सराहना की।
भाकृअनुप के उप-महानिदेशक (पशु विज्ञान), डॉ. राघवेन्द्र भट्टा ने भाकृअनुप द्वारा पंजीकृत नस्लों पर अद्यतन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देशी नस्लों की रक्षा के लिए पशु नस्लों का पंजीकरण 2008 में शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत का नस्ल पंजीकरण ढांचा उन अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है जो अपने देशी एएनजीआर की रक्षा करना चाहते हैं। डॉ. भट्टा ने एएनजीआर विविधता को संरक्षित करने और नई नस्लों को पंजीकृत करने में सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों की भी सराहना की।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के पशुपालन आयुक्त, डॉ. अभिजीत मित्रा ने इस बात पर जोर दिया कि इन नस्लों के विकास के लिए राज्यों में विभिन्न सरकारी कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे, जिससे पशुपालकों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा। उन्होंने देश में 21वीं नस्लवार पशुधन गणना (2024) में डीएएचडी की सहायता करने के लिए आईसीएआर-एनबीएजीआर के प्रयासों की भी सराहना की।
इस अवसर पर आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने नस्ल आवेदकों के प्रयासों की सराहना की।
आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के निदेशक डॉ. बीपी मिश्रा ने बताया कि अब तक कुल 230 पशु नस्लों का पंजीकरण किया जा चुका है, जिनमें मवेशियों की 54, भैंसों की 21, बकरियों की 41, भेड़ों की 46, घोड़ों और टट्टुओं की 8, ऊँटों की 9, सूअरों की 15, गधों की 4, कुत्तों की 5, याक की 2, मुर्गियों की 20, बत्तखों की 4 और गीज़ की 1 नस्ल शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि 2010 से आईसीएआर ने देश में 101 नई नस्लों का पंजीकरण किया है।
कार्यक्रम में आईसीएआर के कुलपति, उप महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक, विभिन्न राज्य कृषि विश्वविद्यालयों/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक, आईसीएआर अनुसंधान संस्थानों और डीएएचडी के अधिकारी शामिल हुए।
पंजीकृत 18 नस्लों में से तीन-तीन लद्दाख (यूटी) और अंडमान और निकोबार (यूटी) से हैं, जो प्राथमिक निवास क्षेत्र है। अन्य राज्य हैं आंध्र प्रदेश (1), असम (1), छत्तीसगढ़ (1), गुजरात (1), महाराष्ट्र (2), हिमाचल प्रदेश (1), राजस्थान (1), त्रिपुरा (1), उत्तराखंड (1), और उत्तर प्रदेश (2)।
कुल 164 आवेदकों को देशी पशुधन, मुर्गी और कुत्तों की 18 नस्लों के पंजीकरण के लिए मान्यता दी गई।
(स्रोत: पशु विज्ञान प्रभाग, आईसीएआर)
List of native breeds of livestock poultry and dog registered by ICAR 2023-2025
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