पूर्वी हिमालय क्षेत्र की पारंपरिक कृषि उत्पादन प्रणालियों में प्राकृतिक खेती के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

पूर्वी हिमालय क्षेत्र की पारंपरिक कृषि उत्पादन प्रणालियों में प्राकृतिक खेती के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

29- 30 जनवरी, 2024, गुवाहाटी

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोन VI, गुवाहाटी ने असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट, असम तथा केशव स्मारक न्यास, हाफलोंग, असम के सहयोग से 'प्राकृतिक खेती' पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन ‘भारत के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र की पारंपरिक कृषि उत्पादन प्रणालियाँ: संभावनाएँ और चुनौतियाँ' 29- 30 जनवरी, 2024 तक गुवाहाटी में नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस लिमिटेड (एनईडीएफआई) के परिसर में किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य, प्राकृतिक खेती के दर्शन और सिद्धांतों के साथ फिट होने के लिए पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में प्रचलित पारंपरिक कृषि उत्पादन प्रणालियों पर हितधारकों को एकजुट होने और विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करना था।

National Workshop on ‘Natural Farming in Traditional Agricultural Production Systems of Eastern Himalayan Region

भाकृअनुप के उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. उधम सिंह गौतम ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने प्राकृतिक कृषि तकनीकों को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियानों, प्रशिक्षण सत्रों तथा खेत पर प्रदर्शनों के महत्व पर जोर दिया।

पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान, मथुरा, यूपी के कुलपति, डॉ. ए.के. श्रीवास्तव ने बढ़ती जनसंख्या के संदर्भ में कृषि की कुल वहन क्षमता के बारे में बात की।

डॉ. कादिरवेल गोविंदासामी, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोन VI, गुवाहाटी ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के कृषि परिदृश्य में प्राकृतिक खेती की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सतत कृषि विकास के लिए पारंपरिक कृषि प्रणालियों के साथ प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के तालमेल की अनिवार्यता को रेखांकित किया।

डॉ. इंद्रजीत सिंह, कुलपति, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना, पंजाब, डॉ. सी.डी. माई, पूर्व अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, डॉ. त्रिवेणी दत्त, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, यूपी, डॉ. पी.एस. पांडे, कुलपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार और डॉ. धीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

कार्यशाला, तीन व्यापक तकनीकी सत्रों, 'पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र में पारंपरिक कृषि उत्पादन प्रणाली', 'भारत के हिमालयी क्षेत्र की पारंपरिक कृषि प्रणालियों में प्राकृतिक खेती के मिश्रण तथा दृष्टिकोण एवं कार्यान्वयन' और 'केवीके में प्राकृतिक खेती के कार्यान्वयन से प्रतिक्रिया और सीख' में शुरू हुई।

कार्यशाला का मुख्य आकर्षण पूर्वी हिमालय क्षेत्र में जैविक/ प्राकृतिक खेती में उद्यमिता को बढ़ावा देने पर सत्र का आयोजन किया गया था।

कार्यक्रम में कुल 150 प्रतिभागियों ने शिरकत की।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन VI, गुवाहाटी)

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