19 मई, 2023, कुलतली, सुंदरबन
भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने आज कुलतली मिलनतीर्थ सोसाइटी के सहयोग से कुलतली, सुंदरबन, पश्चिम बंगाल में महिला मत्स्यजीबी सम्मेलन (महिला मछुआरा सम्मेलन) का आयोजन किया। डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, भारत सरकार एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) ने मुख्य अतिथि के रूप में बैठक का उद्घाटन किया। अन्य विशिष्ट अतिथि, डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी, डॉ. गौरंगा कार, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजाफ और डॉ. डी.बी. शाक्यवार, निदेशक, भाकृअनुप-एनआईएनएफटी के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
मुख्य अतिथि, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा कि सुंदरबन की ग्रामीण आबादी लगातार चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण पीड़ित रहा है। उन्होंने सुंदरबन की महिला मछुआरों की आजीविका बढ़ाने और प्रौद्योगिकियों को दूर-दराज के स्थानों तक ले जाने के लिए भाकृअनुप-सिफरी द्वारा किए गए उत्कृष्ट तथा असाधारण कार्य की सराहना की। डॉ. पाठक ने आह्वान किया कि इस महिला मत्स्यजीवी सम्मेलन में उमरी भीड़ का प्रभाव देखा गया है, जहां चार हजार पांच सौ से अधिक महिला मछुआरे मौजूद हैं, साथ ही इस बात की सहमती बनी है कि भाकृअनुप-सिफरी एससीएसपी तथा एसटीसी के तहत 500 महिला मछुआरों को गोद लेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस क्षेत्र के सभी भाकृअनुप संस्थान और कृषि विज्ञान केन्द्र नई कृषि प्रौद्योगिकी को लागू करने एवं आजीविका बढ़ाने में सुंदरबन के किसानों का तहे दिल से समर्थन करेंगे।
महानिदेशक ने 500 एससी और एसटी महिला मछली किसानों को, जिनके घर में 0.02 हैक्टर से 0.04 हैक्टर के औसत क्षेत्र के साथ तालाब हैं, उनको मछली पालन के लिए इनपुट, जैसे - फिंगरलिंग्स, भाकृअनुप-सिफरी केजग्रो फीड आदि वितरित किए। इन महिला लाभार्थियों को सुंदरबन के गोसाबा एवं बसंती नामक दो सामुदायिक विकास खंडों की 17 ग्राम पंचायतों के तहत 38 बस्तियों को कवर करने वाले एक विशाल क्षेत्र से चुना गया है।
डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी ने जोर देकर कहा कि पिछले 10 वर्षों में, भाकृअनुप-सिफरी ने गोसाबा, हिंगलगंज, कोचुखली, अमतोली, गंगासागर तथा सुंदरबन का बाली द्वीप, नामखाना, काकद्वीप, कुलटोली के लक्षित लाभार्थियों की आजीविका का समर्थन करने के लिए बैकयार्ड तालाब मत्स्य पालन व्यवस्था, नहर मत्स्य पालन तथा सजावटी मछली पालन को आगे बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान एससीएसपी/ एसटीसी कार्यक्रम के तहत मछली पालन के माध्यम से अपनी आजीविका को फिर से जीवंत करने के लिए तकनीकी इनपुट प्रदान करके सुंदरबन के कमजोर समुदायों को अपना समर्थन दे रहा है और इन हस्तक्षेपों से लाभार्थियों की वैकल्पिक आजीविका का सृजन हो रहा है साथ ही उनकी वार्षिक आय में भी काफी वृद्धि हो रही है।
डॉ. गौरांग कार, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजाफ, बैरकपुर और डॉ. डी.बी. सक्यावर, निदेशक, भाकृअनुप-निन्फेट, कोलकाता ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
स बैठक में 4500 महिला मछुआरों सहित पांच हजार से अधिक मछुआरों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)
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