14 मई, 2025, नई दिल्ली
डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने आज यहां राष्ट्रीय कर्मयोगी - वृहद जन सेवा कार्यक्रम के तहत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों (एमडीओ) के उप-सचिव (डीएस)/निदेशक स्तर के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. जाट ने "जन सेवा ही प्रभु सेवा" के गहन महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह महज एक वाक्य नहीं है, बल्कि एक मार्गदर्शक सिद्धांत है जो जन सेवा के सार को समाहित करता है। उन्होंने अधिकारियों से 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लिए इस दर्शन को आत्मसात करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "कृषि के विकास के बिना विकसित भारत का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। विकसित भारत के सभी चार स्तंभ आंतरिक रूप से कृषि से जुड़े हुए हैं। हम इस क्षेत्र में योगदान करने के लिए भाग्यशाली हैं, जो सीधे तौर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।"
महानिदेशक ने संगठनों के भीतर सम्मान, साझा दृष्टिकोण और सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कर्मयोगी बनने की शुरुआत दूसरों के प्रति सम्मान विकसित करने तथा समाज और राष्ट्र के साथ वास्तविक संबंध विकसित करने से होती है।
उन्होंने कहा, "सच्चा कर्मयोग भीतर से उभरता है। यह केवल व्याख्यानों से नहीं आता, बल्कि अपने काम में आनंद का अनुभव करने से आता है। जब तक हम अपने काम का आनंद नहीं लेंगे, हम सच्चे कर्मयोगी नहीं बन सकते।"
इस अवसर पर बोलते हुए भाकृअनुप के उप-महानिदेशक (कृषि शिक्षा), डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने बताया कि भाकृअनुप/डेयर को इस कार्यक्रम के तहत सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाले संगठन के रूप में मान्यता दी गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्ञान, कौशल विकास एवं प्रेरणा किसी भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सार्थक परिणामों के लिए पारस्परिक संबंधों को बढ़ावा देना भी उतना ही आवश्यक है।
इससे पहले, भाकृअनुप के सहायक महानिदेशक (एचआरडी), डॉ. एस.के. शर्मा ने स्वागत संबोधन दिया और कार्यक्रम के उद्देश्यों और उपलब्धियों को रेखांकित किया।
क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) द्वारा 12 सितंबर, 2024 को शुरू किए गए राष्ट्रीय कर्मयोगी - बड़े पैमाने पर जन सेवा कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों के बीच उद्देश्य (स्वधर्म) की भावना को मजबूत करना है। इस पहल का उद्देश्य उनकी पेशेवर भूमिकाओं में सेवा भाव के मूल्यों को फिर से जागृत करना, नागरिक-केन्द्रित सेवा वितरण को बढ़ाना, अंतर-विभागीय सहयोग को बढ़ावा देना तथा काम पर अधिकारियों की संतुष्टि की भावना में सुधार करना है।
कार्यक्रम को दो प्रगतिशील चरणों में शुरू किया जा रहा है:
चरण 1: दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रालयों में कार्यान्वयन
• सभी केन्द्रीय मंत्रालयों के सचिवालयों में 10,000 केन्द्रीय सरकारी कर्मियों को शामिल किया गया।
• इस चरण के तहत, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डेयर)/ भाकृअनुप के चार अधिकारी- निदेशक/उप-सचिव के पद पर- 6 से 18 जनवरी, 2025 के बीच सीएसओआई, केजी मार्ग, नई दिल्ली में एक गहन 3- दिवसीय प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल हुए।
• ये अधिकारी अब प्रमाणित मास्टर ट्रेनर हैं, जिन्हें डेयर/ भाकृअनुप के भीतर कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और एमटीएस से लेकर निदेशक/ उप-सचिव स्तर के अधिकारियों को शामिल करने के लिए इसकी पहुंच का विस्तार करने का काम सौंपा गया है। डेयर/ भाकृअनुप में प्रशिक्षण के अगले 12 बैचों के दौरान, चार मास्टर ट्रेनर राष्ट्रीय कर्मयोगी बड़े पैमाने पर जन सेवा कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन का नेतृत्व और सुविधा प्रदान करेंगे।
चरण 2: राष्ट्रव्यापी रोलआउट
• कार्यक्रम के दूसरे चरण का उद्देश्य भारत सरकार के सभी कार्यालयों में प्रशिक्षण को देश भर में फैलाना है।
• इसकी शुरुआत 7- 9 अप्रैल, 2025 तक सुषमा स्वराज भवन, नई दिल्ली में सचिवों और अतिरिक्त सचिवों के लिए 3-दिवसीय इमर्सिव कार्यशालाओं के साथ हुई।
• अगले चरण में:
o प्रत्येक मंत्रालय/ विभाग 5- दिवसीय प्रशिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए प्रमुख प्रशिक्षकों (निदेशक/ उप-सचिव स्तर पर) को नामित करेगा। डेयर/ भाकृअनुप में क्षमता निर्माण इकाई (सीबीयू) ने इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख प्रशिक्षकों को नामित किया है।
o ये प्रमुख प्रशिक्षक फिर 3- दिवसीय गहन कार्यशाला के माध्यम से लगभग 20,000 कर्मयोगी प्रशिक्षकों (मास्टर प्रशिक्षकों) को प्रशिक्षित करेंगे।
o प्रमाणित मास्टर प्रशिक्षक/ कर्मयोगी प्रशिक्षक मंत्रालय/ विभाग के संबद्ध कार्यालयों और संगठनों में कर्मचारियों के लिए 1- दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें