भाकृअनुप-सीबा, चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में तटीय और आदिवासी महिलाओं ने मत्स्यपालन आधारित आजीविका विकास की अपनी सफलता की कहानियाँ साझा की

भाकृअनुप-सीबा, चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में तटीय और आदिवासी महिलाओं ने मत्स्यपालन आधारित आजीविका विकास की अपनी सफलता की कहानियाँ साझा की

23 जुलाई 2023, चेन्नई

"तटीय और आदिवासी महिलाओं की आवाज़ सुनने तथा उनकी सफलता की कहानियाँ एवं ग्रामीण और जलीय पर्यटन सहित आजीविका के अवसरों पर जागरूकता" विषय पर एक कार्यशाला में तटीय और आदिवासी महिलाओं की आवाज़ को मत्स्यपालन आधारित आजीविका विकास की उनकी सफलता की कहानियों के रूप में आज सुना गया। कार्यशाला का आयोजन भाकृअनुप-केन्द्रीय खाराजल मत्स्यपालन संस्थान (सीबा), चेन्नई द्वारा तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम के साथ संयुक्त रूप से किया गया था।

Coastal and Tribal women shared their success stories of aquaculture-based livelihood development at the National Workshop held at ICAR-CIBA, Chennai   Coastal and Tribal women shared their success stories of aquaculture-based livelihood development at the National Workshop held at ICAR-CIBA, Chennai

तिरु. एस. अन्नादुराई, सीएलएस, निदेशक, जनजातीय कल्याण विभाग, तमिलनाडु सरकार उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि तटीय मछुआरों और आदिवासी महिलाओं के पास मछली उत्पादन, विपणन एवं मूल्यवर्धन के संदर्भ में विशेष कौशल हैं और उन्हें अपने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भाकृअनुप-सीबा द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जनजातीय कल्याण विभाग जल्द ही तटीय जिलों में जनजातीय लोगों के लिए जलीय कृषि आधारित आजीविका विकास गतिविधियों को शुरू करने के लिए भाकृअनुप-सीबा के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार आदिवासी बच्चों के लिए एकीकृत आदिवासी विकास कार्यक्रम और एकलव्य मॉडल स्कूल जैसी कई आदिवासी कल्याण योजनाएं लागू कर रही है। उन्होंने आदिवासी कल्याण और वन विभागों की सुविधा से तमिलनाडु के अरियालुर जिले में इरुला आदिवासी समूहों द्वारा काजू के बागानों को पट्टे पर देने की सफलता की कहानी सुनाई। इस अवसर पर उन्होंने तटीय और आदिवासी महिलाओं की सफलता की कहानियों पर पुस्तिका का भी विमोचन किया।

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डॉ. कुलदीप कुमार लाल, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भाकृअनुप-सीबा  एक अनुसंधान संस्थान है जो अनुसूचित जनजातीय घटक के तहत अपने प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और फ्रंट-लाइन प्रदर्शन कार्यक्रमों के माध्यम से तटीय महिलाओं और आदिवासी लोगों के कौशल सेट विकसित कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाकृअनुप-सीबा इन महिलाओं और आदिवासी समूहों को अपनी योजनाओं के माध्यम से जलीय कृषि आधारित आजीविका के लिए राज्यों के विकास विभागों के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि एशियाई सीबास नर्सरी और खेती, मड क्रैब फेटनिंग और समुद्री शैवाल और फिन फिश की एकीकृत खेती ऐसी तकनीकें हैं जिनकी पहचान की गई है।

समापन सत्र की मुख्य अतिथि, डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, अध्यक्ष, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ), चेन्नई ने तटीय परिवारों के लिए जलीय कृषि-आधारित टिकाऊ आजीविका विकास मॉडल विकसित करने में भाकृअनुप-सीबा द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एमएसएसआरएफ तमिलनाडु के कुड्डालोर और मायलादुथुराई जिलों में जलीय कृषि आधारित आजीविका विकास परियोजनाओं को संयुक्त रूप से लागू करने के लिए सीबा के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में है।

कार्यशाला में तमिलनाडु के तिरुवल्लूर, कांचीपुरम, कुड्डालोर और चेंगलपट्टू जिलों से मत्स्यपालन आधारित आजीविका में लगी लगभग 150 तटीय और आदिवासी महिलाओं एवं विकास विभागों, वित्तीय संस्थानों तथा गैर सरकारी संगठनों के अधिकारियों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खाराजल मत्स्यपालन संस्थान, चेन्नई)

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