21 नवम्बर, 2016, मदिगान, सुंदरबन, पश्चिम बंगाल
भाकृअनुप – केन्द्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर द्वारा न्यूट्रीस्मार्ट गांव मदिगान, बलॉक नामखाना, सुंदरबन, पश्चिम बंगाल में विश्व मात्स्यिकी दिवस समारोह मनाया गया। इस अवसर पर सुंदरबन क्षेत्र में आजीविका में बढ़ोतरी के लिए देसी छोटी मछलियों की किस्मों को लोकप्रिय बनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ. पूर्णेन्दु विश्वास, कुलपति, पश्चिम बंगाल पशुविज्ञान एवं मात्स्यिकी विश्वविद्यालय, कोलकाता ने कहा कि बालकों के लिए छोटी मछलियां महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इनमें आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।
डॉ. बी. के. दास, निदेशक, आईसीएआर – सीआईएफआरआई ने अपने स्वागत भाषण में जोर देकर कहा कि छोटी देसी मछलियों में प्रमुख भारतीय कार्प तथा विदेशी कार्प की तुलना में अधिक सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।। उन्होंने कहा कि दैनिक भोजन में इन मछलियों को शामिल करने से परिवार के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों तथा विटामिन की आपूर्ति होती है। उन्होंने बल देकर कहा कि इन देसी मछलियों के पालन से मछुआरों को अधिक आय की प्राप्ति होगी क्योंकि अन्य कार्प मछलियों की तुलना में इनकी कीमत अधिक होती है।
"स्मॉल इंडिजेनस फिशिज फॉर न्यूट्रीशनल सिक्युरिटी ऑप द रूरल इकोनॉमी (अंग्रजी व बांग्ला भाषा में)" तथा "हिल्सा कैलेन्डर इन बांग्ला” प्रकाशन इस अवसर पर जारी किये गये।
मुख्य अतिथि द्वारा पोषक गावं परियोजना के तहत नामखाना ब्लॉक के मदनगंज, सुंदरबन क्षेत्र में छोटे स्वदेशी मछलियों के बीज बैंक का उद्घाटन किया गया।
250 से अधिक मछुआरों और महिलाओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप – केन्द्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)







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