केन्द्रीय कृषि मंत्री ने लुधियाना स्थित भाकृअनुप-आईआईएमआर के नए प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का किया उद्घाटन

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने लुधियाना स्थित भाकृअनुप-आईआईएमआर के नए प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का किया उद्घाटन

14 अक्टूबर, 2025, लुधियाना

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अंतर्गत भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना के नवनिर्मित प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन, श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने आज किया।

Union Agriculture Minister inaugurates new Administrative-cum-Laboratory Building of ICAR–IIMR, Ludhiana

अपने संबोधन में, श्री चौहान ने कहा कि मक्का अब केवल एक फसल नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत के खाद्य, पोषण, चारा, औद्योगिक और जैव ऊर्जा सुरक्षा का आधार बन गया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष देश में मक्का का उत्पादन 10.5% बढ़कर 42 मिलियन टन हो गया। इस खरीफ सीजन के दौरान, मक्का का विस्तार लगभग 10 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में हो गया है और उत्पादन 47-50 मिलियन टन तक पहुँचने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि मक्का एक प्रमुख औद्योगिक फसल के रूप में उभर रहा है, जो इथेनॉल उत्पादन में लगभग 50% का योगदान देता है। इथेनॉल क्षेत्र ने किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे कच्चे तेल के आयात में ₹1.44 लाख करोड़ की बचत हुई है, जिसमें से ₹1.25 लाख करोड़ सीधे किसानों को दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि अकेले मक्का ने किसानों को अनुमानित ₹45,000 करोड़ का लाभ पहुँचाया है, जो उन्हें "अन्नदाता" से "ईंधनदाता" बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस कार्यक्रम में, श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री रवनीत सिंह बिट्टू, केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री, श्री गुरमीत सिंह खुद्डियां, कृषि मंत्री, पंजाब और डॉ. एम.एल. जाट सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

श्री भागीरथ चौधरी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत मक्का को सभी मौसमों और क्षेत्रों के लिए उपयुक्त फसल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मक्का को एक औद्योगिक फसल के रूप में विकसित करने से कृषि स्थिरता को मजबूत करने तथा किसानों के लिए स्थिर आय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

Union Agriculture Minister inaugurates new Administrative-cum-Laboratory Building of ICAR–IIMR, Ludhiana

डॉ. जाट ने कहा कि प्रधानमंत्री का "किसान समृद्धि और आत्मनिर्भर कृषि" का विजन मक्का जैसी बहुउद्देशीय फसलों के माध्यम से साकार हो रहा है। भारत में संगठित मक्का अनुसंधान की शुरुआत 1957 में अखिल भारतीय समन्वित मक्का सुधार परियोजना के शुभारंभ के साथ हुई, जिसे बाद में सुदृढ़ किया गया और 2015 में भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के रूप में स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि संस्थान न केवल अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करता है, बल्कि फसल विविधीकरण, औद्योगिक उपयोग और स्थायी किसान आय को भी बढ़ावा देता है। मक्का की खेती पूरी तरह से मशीनीकृत हो गई है, जिससे श्रम, समय तथा लागत में कमी आई है, साथ ही संरक्षण कृषि पद्धतियों को भी बढ़ावा मिला है जो मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं, जल संरक्षण करती हैं और संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करती हैं।

डॉ. जाट ने यह भी बताया कि मक्का से प्राप्त पॉलीलैक्टिक एसिड बायोपॉलीमर बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के एक क्रांतिकारी विकल्प के रूप में उभर रहे हैं, जो पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हैं और "हरित भारत-स्वच्छ भारत" के विजन को मजबूत करते हैं।

Union Agriculture Minister inaugurates new Administrative-cum-Laboratory Building of ICAR–IIMR, Ludhiana

डॉ. हनुमान सहाय जाट, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएमआर के ने बताया कि संस्थान ने 45 से अधिक उच्च उपज देने वाली मक्का संकर किस्में विकसित की हैं, जिन्हें हाल के वर्षों में 30 से अधिक निजी बीज कंपनियों ने अपनाया है। संस्थान ने राष्ट्रीय पोषण सुरक्षा में योगदान देने वाली 24 जैव-प्रबलित किस्में भी विकसित की हैं। पिछले पाँच वर्षों में 40,000 क्विंटल से अधिक बीज का उत्पादन किया गया है, जिससे बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है और स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन हुआ है। संस्थान किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। वर्तमान में, भाकृअनुप-आईआईएमआर ने 15 राज्यों के 78 जिलों में मक्का आधारित जलग्रहण क्षेत्र विकसित किए हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिली है।

मक्का उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए देश भर के 1000 से अधिक मक्का हितधारकों की भागीदारी के साथ एक राष्ट्रीय हितधारक परामर्श बैठक भी आयोजित की गई। अत्याधुनिक प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का निर्माण कुल ₹37.56 करोड़ की लागत से किया गया है। इसमें जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि व्यवसाय संवर्धन, फसल विविधीकरण, मशीनीकरण तथा डिजिटल कृषि में उन्नत अनुसंधान सुविधाएं होंगी।

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कार्यक्रम के बाद, नूरपुर बेट (लुधियाना) में फसल अवशेष प्रबंधन पर एक लाइव प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर, सुपर सीडर और सुपर-एसएमएस जैसी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। दोराहा (लुधियाना) में एक मधुमक्खी उद्यम और व्यवसाय मॉडल का दौरा भी आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त, एक किसान चौपाल ने किसानों, वैज्ञानिकों और उत्पादकों के बीच व्यावहारिक, क्षेत्र-स्तरीय जानकारी के लिए सीधे संवाद को सुगम बनाया।

डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव, उप-महानिदेशक, (फसल विज्ञान), भाकृअप, ने हितधारकों की सहभागिता को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर कृषि परिवर्तन में तेजी लाने के लिए भाकृअनुप के "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के तहत की जा रही पहलों पर प्रकाश डाला।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना) 

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