15 अक्टूबर, 2025, खोरधा
कृषि एवं ग्रामीण परिवर्तन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने के उद्देश्य से आज खोरधा जिले के बालिपटना ब्लॉक के नुआपाड़ा गाँव में कृषि विज्ञान केन्द्र (भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठा जल मत्स्य पालन संस्थान, भुवनेश्वर), खोरधा, तथा भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के सहयोग से राष्ट्रीय महिला किसान दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महिला किसानों, स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.) की सदस्याओं तथा किसान उत्पादक कंपनियों (एफ.पी.सी.) के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा में अपने योगदान का गौरवपूर्ण प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-आटारी, कोलकाता द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल माध्यम से किया गया। उन्होंने महिला किसानों की दृढ़ता, नवाचार क्षमता और सतत कृषि एवं जैव विविधता संरक्षण में उनकी भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत सरकार तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद महिलाओं को विज्ञान-आधारित कृषि परिवर्तन की अग्रणी शक्ति के रूप में सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इसके पहले, कार्यक्रम के स्वागत संबोधन में डॉ. हरप्रिया नायक, प्रमुख, केवीके-खोरधा ने कहा कि महिला किसान भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने केवीके द्वारा महिलाओं को क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी प्रसार तथा संसाधनों तक बेहतर पहुंच के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।
डॉ. पी.आर. साहू, विषय विशेषज्ञ, केवीके-खोरधा ने स्वयं सहायता समूह की सदस्याओं को मत्स्य पालन आधारित उद्यमों को बढ़ावा देने का, इस अवसर पर, आह्वान किया ताकि ग्रामीण आजीविका एवं पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सके।
महिला किसानों के योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए पाँच उत्कृष्ट महिला किसानों को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही, पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं और घरेलू पोषण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी सहभागी महिलाओं को आम के पौधे प्रदान किया गया।
लगभग 70 महिला किसान, एसएचजी सदस्याएं, एफपीसी प्रतिनिधि और अधिकारी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जो इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं आज सतत, समावेशी तथा जलवायु-संवेदनशील कृषि के निर्माण में परिवर्तन की प्रमुख वाहक बन रही हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप- कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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