6-8 अगस्त, 2022, राजगीर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना ने 6-8 अगस्त, 2022 तक राजगीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में "जोन- IV के केवीके की 5वीं वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला" का आयोजन किया।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि, श्री श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री, बिहार सरकार ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि, राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा और केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के लिए जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों की भी सराहना की। मंत्री ने बदलती जलवायु अनुकूल कृषि एवं कृषि को लाभदायक बनाने में आकस्मिक फसल नियोजन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केवल कृषि ही युवाओं के बड़े वर्ग को रोजगार प्रदान कर सकती है।

डॉ. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक (कृ.वि.), भाकृअनुप ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भाकृअनुप ने 75000 किसानों के डीएफआई मामले का सफलतापूर्वक दस्तावेजीकरण किया, जिनकी आय 2016-17 से 2021-22 की अवधि के दौरान दोगुनी हो गई। उन्होंने कहा कि डीएफआई की सफलता की कहानियों के विश्लेषण पर यह पाया गया कि अधिकतर मामलों में उन किसानों की आय दोगुनी हो गई जिन्होंने नई तकनीकों को अपनाया और अपने कृषि प्रयोगों में विविधता लाई। डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि केवीके को एक जिला एक उत्पाद पर विचार करके अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए ताकि केवीके एक स्टॉप शॉप की तरह हो। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों से दलहनों एवं तिलहनों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उफ महानिदेशक ने उर्वरक और कीटनाशकों के रूप में रसायनों के कम उपयोग के साथ कृषि की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी मंचों पर केवल पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ, सांस्कृतिक रूप से अपनाने योग्य और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रौद्योगिकी की वकालत की जानी चाहिए।
डॉ. रामेश्वर सिंह, कुलपति, बसु (BASU) ने कहा कि किसान की आय बढ़ाने के लिए फसल के साथ पशुपालन का एकीकरण बहुत मददगार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि केवीके किसान और अनुसंधान संस्थानों के बीच की खाई को पाटने के समान हैं।
डॉ. कृष्ण कुमार, कुलपति, आरपीसीएयू ने कृषि को व्यवसायोन्मुखी बनाने का आग्रह किया। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए बेहतर मार्केटिंग की जरूरत पर जोर दिया।
डॉ. रणधीर सिंह, एडीजी (विस्तार), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने कहा कि नई तकनीक को अपनाना ही कृषि में क्रांति लाने और अंततः किसानों की आय बढ़ाने का तरीका है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई युवा और शिक्षित व्यक्ति मशीनीकृत खेती को अपना रहे हैं और न केवल आजीविका के लिए बल्कि क्रांतिकारी तरीके से आय सृजन के लिए कृषि से संबंधित उद्यमशीलता इकाई की स्थापना कर रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया कि कृषि क्षेत्र में इसकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता के लिए लाइन विभाग और विकास एजेंसियों के अधिकारियों को एफएलडी परिणाम प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
डॉ. आर.के. मलिक, राष्ट्रीय समन्वयक, सिमीट ने छोटे किसानों की आय बढ़ाने, मूल्यवर्धन, महिला सशक्तिकरण और केवीके द्वारा क्लस्टर-आधारित विकास के दृष्टिकोण का पालन करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ओएफटी और एफएलडी के माध्यम से जैव-फोर्टिफाइड किस्म को लोकप्रिय बनाने की वकालत की।
इससे पूर्व, डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने अपने स्वागत संबोधन में अटारी, जोन-IV की समग्र उपलब्धियों को सबके सामने प्रस्तुत किया।
वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला में, भाकृअनुप संस्थानों के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों; विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा निदेशकों, विश्वविद्यालयों के सहयोगी निदेशक विस्तार, और 68 केवीके के प्रमुखों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-IV, पटना, बिहार)







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