श्री जी. किशन रेड्डी ने पीएम-किसान योजना की 20वीं किस्त जारी की

श्री जी. किशन रेड्डी ने पीएम-किसान योजना की 20वीं किस्त जारी की

2 अगस्त, 2025, हैदराबाद

भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के अंतर्गत भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, रंगा रेड्डी ज़िले ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वाराणसी, उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की 20वीं किस्त जारी करने का सीधा प्रसारण किया। यह कार्यक्रम रंगा रेड्डी जिले के यचारम स्थित रायथु वेदिका में आयोजित किया गया था।

Shri G. Kishan Reddy Graces 20th Instalment Release of PM-Kisan Scheme

मुख्य अतिथि श्री जी. किशन रेड्डी, केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री ने किसानों के समर्पण और कृषि विज्ञान केन्द्र तथा भाकृअनुप जैसी संस्थाओं के योगदान की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आर्थिक विकास और कृषि दोनों में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है। उन्होंने ग्रामीण समृद्धि को मज़बूत करने में पीएम-किसान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ई-नाम और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देने जैसी सरकारी पहलों के प्रभाव पर ज़ोर दिया। श्री रेड्डी ने किसानों से इन योजनाओं का पूरा लाभ उठाने और तकनीकी मार्गदर्शन के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों से जुड़े रहने का आग्रह किया।

मुख्य अतिथि, श्री मालरेड्डी रंगा रेड्डी, विधान सभा सदस्य, तेलंगाना ने किसान कल्याण पर सरकार के निरंतर ध्यान की सराहना की।

डॉ. वी. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिडा ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए इस योजना के महत्व पर ज़ोर दिया और शुष्क भूमि कृषि को बढ़ावा देने के लिए भाकृअनुप की प्रतिबद्धता दोहराई।

इस कार्यक्रम में देश भर के 9.7 करोड़ से ज़्यादा किसानों को ₹20,500 करोड़ का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) किया गया। पीएम-किसान योजना तीन समान किस्तों में ₹6,000 की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जो डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के आधार-लिंक्ड बैंक खातों में जमा की जाती है।

Shri G. Kishan Reddy Graces 20th Instalment Release of PM-Kisan Scheme

कार्यक्रम में भाकृअनुप-क्रिडा, विश्वविद्यालयों और संबंधित विभागों के विशेषज्ञों के साथ एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें फसल विविधीकरण, पशुधन प्रबंधन, मृदा एवं जल संरक्षण, तथा जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों पर चर्चा की गई।

किसानों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों सहित 816 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया।

इस कार्यक्रम ने नवाचार, समावेशन और निवेश के माध्यम से भारतीय कृषि में बदलाव लाने के सरकार के दृष्टिकोण को सुदृढ़ किया, साथ ही किसानों में सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा दिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)

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