प्राकृतिक आपदाओं के बीच उत्तर बंगाल के लिए ई-सलाह और कार्ययोजना: किसानों के सशक्तिकरण तथा उनकी सहनशीलता को मजबूत करने की पहल

प्राकृतिक आपदाओं के बीच उत्तर बंगाल के लिए ई-सलाह और कार्ययोजना: किसानों के सशक्तिकरण तथा उनकी सहनशीलता को मजबूत करने की पहल

8 अक्टूबर, 2025, कोलकाता

उत्तर बंगाल में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए एक ठोस प्रयास के तहत, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता ने उत्तर बंगाल कृषि विश्वविद्यालय, कूचबिहार, पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता तथा जलपाईगुड़ी, कूचबिहार और दार्जिलिंग के कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से एक ई-सलाह तथा कार्ययोजना कार्यक्रम का आयोजन किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा के बाद किसानों की सहायता और आजीविका बहाली के लिए समय पर परामर्श सेवाएं प्रदान करना और कार्यान्वयन योग्य रणनीतियाँ विकसित करना था।

डॉ. टी.के. दत्ता, कुलपति, डब्ल्यूबीयूएएफएस, ने एक मजबूत अल्पकालिक कार्ययोजना तैयार करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया तथा संसाधनों को कुशलतापूर्वक जुटाने के लिए अंतर-एजेंसी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।

प्रो. डी. बसु, कुलपति, यूबीकेवी, ने समय पर परामर्श, लक्षित प्रशिक्षण और किसानों की सक्रिय भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हस्तक्षेप व्यावहारिक, प्रभावी एवं स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप बने रहे।

अपने संबोधन में, डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता, ने इस बात पर जोर दिया कि संकट के दौरान सामुदायिक लचीलेपन को मजबूत करने के लिए जन-केन्द्रित जनभागीदारी दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और संस्थागत सहयोग का एकीकरण किसानों को नुकसान कम करने तथा अपनी आजीविका की रक्षा करने में महत्वपूर्ण रूप से मदद कर सकता है, तथा विपरीत परिस्थितियों में आशा के साथ-साथ लचीलापन भी बढ़ा सकता है।

e-Advisory and Action Planning for North Bengal Amidst Natural Calamities: Empowering Farmers and Strengthening Resilience

प्रो. एस. लाहा, पूर्व कुलपति, यूबीकेवी, ने समय पर की गई इस पहल के लिए आयोजकों की सराहना की और किसानों को संकट से उबरने के प्रयासों में मार्गदर्शन देने के लिए पादप विज्ञान पर अपनी विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि साझा की।

डॉ. पी. पाल, विस्तार शिक्षा निदेशक, यूबीकेवी, ने वैज्ञानिक अनुसंधान को जमीनी समाधानों में बदलने में विस्तार सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

कार्यक्रम में प्रमुख अधिकारियों ने भी भाग लिया, जिनमें, डॉ. चंचल प्रमाणिक, परियोजना निदेशक, एटीएमए, जलपाईगुड़ी; श्री जेम्स लेप्चा, उप-कृषि निदेशक, कलिम्पोंग; और श्री पार्थ रॉय, उप-कृषि निदेशक, दार्जिलिंग शामिल थे, सभी ने एकजुटता व्यक्त की तथा अपना क्षेत्रीय दृष्टिकोण साझा किया।

क्षेत्रीय विशेषज्ञों ने पशु तथा मत्स्य पालन क्षेत्रों में बाढ़ एवं भूस्खलन प्रबंधन के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधन एवं फसल प्रबंधन पर अंतर्दृष्टि साझा की। जलपाईगुड़ी, कूचबिहार तथा दार्जिलिंग के कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधियों द्वारा फसल क्षति और संबंधित आकस्मिक उपायों पर व्यापक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।

एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र ने एफपीओ/एफपीसी प्रतिनिधियों, विषय विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों को विशेषज्ञ सलाह लेने और अनुभव साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया। सत्र ने सार्थक संवाद तथा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि किसानों को संदर्भ-विशिष्ट मार्गदर्शन प्राप्त हो।

कार्यक्रम में कुल 68 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 9 एफपीओ/एफपीसी के प्रतिनिधि, 17 प्रगतिशील किसान और कृषि विज्ञान केन्द्रों के तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे। यह पहल उत्तर बंगाल के बाढ़ तथा भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में किसानों की स्थिति सुधारने एवं उनकी सहनशीलता को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)

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