महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के 81 केवीके की ऑनलाइन वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के 81 केवीके की ऑनलाइन वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

10-12 जुलाई, 2020, पुणे

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भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र ने 10 से 12 जुलाई, 2020 तक ‘महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के 81 केवीके की तीन दिवसीय ऑनलाइन वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला’ का आयोजन किया।

मुख्य अतिथि, श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने केवीके के प्रयासों की सराहना करते हुए किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के लिए संपूर्ण एनएआरएस और केवीके प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। मंत्री ने कृषि क्षेत्र को व्यवसायिक मोड में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को आत्म निर्भर बनाने और साथ मिलकर काम करने के लिए लोकप्रिय बनाने का भी आग्रह किया। श्री चौधरी ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मूल्य-वर्धन, फसल कटाई उपरांत प्रौद्योगिकियों, मूल्य-श्रृंखला प्रबंधन, गुणवत्तायुक्त उत्पादों के उत्पादन और निर्यात के माध्यम से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने केवीके से पूरे देश में कृषक समुदायों को सशक्त बनाने के लिए आवश्यकता आधारित उद्यम शुरू करने का आग्रह किया।

डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने कोविड-19 संकट के दौरान कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा जारी परामर्श की सराहना की। जिलों में अधिक दृश्यता के कारण केवीके की मांग में वृद्धि के बारे में प्रकाश डालते हुए डॉ. महापात्र ने अपने बेंचमार्क सर्वेक्षणों के आधार पर किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में चिन्हित गाँवों का उचित विश्लेषण करने पर जोर दिया। उन्होंने राज्य सरकार से भी किसान-संबंधी रणनीति को तेज करने का आग्रह किया। महानिदेशक ने सूक्ष्म सिंचाई, प्याज, लहसुन, अरंडी, बीज मसाले, बागवानी फसलों, फसल कटाई के बाद प्रसंस्करण, बहु-परत फसल और मूल्य-वर्धन पर जोर दिया जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर सकता है।

डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने विशेष कृषि, फलों और सब्जियों के स्थानीय विपणन तंत्र, अमूल आधारित सहकारी समितियों, दुर्लभ स्थिति में आईएफएस मॉडल आदि की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने वस्तु-आधारित एफपीओ/एफपीसी के माध्यम से महाराष्ट्र में किसानों को संगठित करने की संस्कृति की भी सराहना की। डॉ. सिंह ने केवीके से आग्रह किया कि वे कुपोषण मुक्त गाँव बनाने के लिए आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए केवीके और गाँवों में पोषण उद्यान विकसित करने पर जोर दें।

डॉ. के. पी. विश्वनाथ, कुलपति, महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी ने केवीके में बुनियादी ढाँचे के साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने पर जोर दिया। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए पशुधन घटकों सहित प्राथमिकताओं को समझने और कृषि विविधीकरण को लागू करने के लिए एसआरईपी के उपयोग का सुझाव दिया।

समापन सत्र में डॉ. वी. एम. भाले, कुलपति, पीडीकेवी, अकोला ने जिला स्तर पर फसल नियोजन, किसान उत्पादक संगठन, जैव-एजेंट उत्पादन इकाइयों और विपणन की सुविधा पर जोर दिया।

डॉ. वी. पी. चहल, अतिरिक्त महानिदेशक, (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अन्य एजेंसियों के साथ तालमेल को मजबूत करने, विस्तार शिक्षा निदेशालय स्तर पर उत्कृष्ट टीम गठित करने और जैविक आदानों के उत्पादन पर प्रकाश डाला।

श्री अतुल जैन, सीएसओ (नागरिक समाज संगठन) पर नीति आयोग की स्थायी समिति के सदस्य ने किसानों की बुद्धिमत्ता, लोक गीतों, कहावतों और मान्यताओं का दस्तावेजीकरण करने पर जोर दिया।

डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे, महाराष्ट्र ने इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में क्षेत्र की उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए संरक्षित खेती, रेशम पालन के माध्यम से फसल विविधीकरण, मधुमक्खी पालन, बाँस की खेती, कृषि उद्यमियों के सफल मामले और किसानों द्वारा अपनाए गए अभिनव विस्तार दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला।

भाकृअनुप-संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने विभिन्न हितधारकों को शिक्षित करने के लिए केवीके के अनुदेशात्मक खेत (फार्म) को प्रौद्योगिकी केंद्र बनाने का आग्रह किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)

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