27 अक्टूबर, 2025, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन (डेयर), मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर के तहत एक ऐतिहासिक इवेंट, नेशनल एग्रीकल्चरल स्टूडेंट्स सम्मेलन, का आयोजन किया। यह केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान और देश की एग्रीकल्चरल एजुकेशन कम्युनिटी के बीच एक ऐतिहासिक जुड़ाव को दिखाता है, जिसमें भारत भर के कृषि विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स, साइंटिस्ट्स और वाइस-चांसलर शामिल थे।
अपने मुख्य संबोधन में, श्री शिवराज सिंह चौहान ने एग्रीकल्चर को भारत की इकॉनमी की रीढ़ बताया, और इस सेक्टर की शानदार उपलब्धियों तथा एग्रीकल्चरल एजुकेशन में आने वाली चुनौतियों, दोनों पर रोशनी डाली। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि एग्रीकल्चर, जो देश को चलाता है, इंजीनियरिंग एवं मेडिसिन जितनी ही इज्ज़त का हकदार है। थ्योरेटिकल लर्निंग से प्रैक्टिकल, इनोवेशन-ड्रिवन एजुकेशन की ओर बदलाव की अपील करते हुए, मिनिस्टर ने विश्वविद्यालयों से ज़्यादा फील्ड एक्सपोजर देने और करिकुलम को किसानों की असलियत के साथ जोड़ने का आग्रह किया।

श्री चौहान ने एजुकेशन तथा इनोवेशन के ज़रिए किसानों की इनकम बढ़ाने, इनपुट कॉस्ट कम करने और वैल्यू एडिशन बढ़ाने हेतु सरकार के कमिटमेंट को दोहराया। उन्होंने एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से एक ग्रेडिंग सिस्टम के ज़रिए बेहतरीन काम करने की अपील की, जो स्वस्थ प्रतियोगिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा दे। दुनिया के सबसे अच्छे तरीकों को अपनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने सुझाव दिया कि हर एग्रीकल्चरल स्टूडेंट को हर साल किसानों के खेतों में जाकर व्यवहारिक अनुभव लेना चाहिए और असली दुनिया की चुनौतियों का समाधान विकसित करना चाहिए।
युवाओं को ज्ञान एवं इनोवेशन के ज़रिए कृषि को बदलने का वादा करने तथा इसे बढ़ावा देते हुए, मिनिस्टर ने कहा, “हम जो सोचते हैं, वही बन जाते हैं।” उन्होंने स्टूडेंट्स से अपनी पर्सनल ग्रोथ को देश की एग्रीकल्चरल प्रोग्रेस के साथ जोड़ने की अपील की और भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनने का सपना देखा, जो ग्लोबल फूड एवं न्यूट्रिशनल सिक्योरिटी में योगदान दे। उन्होंने यह कहते हुए बात खत्म की कि एग्रीकल्चरल एजुकेशन को स्टूडेंट्स को अपनी ज़िंदगी बदलने तथा उनके जरिए दुनिया को बदलने हेतु सशक्त बनाना चाहिए।
मौजूद लोगों को एड्रेस करते हुए, श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, ने कृषि क्षेत्र में योगदान देने के लिए स्टूडेंट्स की एनर्जी, आइडिया तथा पक्के इरादे की तारीफ़ की। उन्होंने भरोसा जताया कि उनका जोश भारतीय एग्रीकल्चर के लिए एक अच्छे भविष्य को दिखाता है, और कहा कि किसानों की खुशहाली ही देश की प्रोग्रेस का सही पैमाना है।
मेहमानों का स्वागत करते हुए, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), ने हार्दिक शुभकामनाएं दीं और मंत्री जी की उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर था जब किसी केन्द्रीय मंत्री ने कृषि छात्रों के साथ सीधे बातचीत की, जिससे सरकार की नीति को युवा आकांक्षाओं से जोड़ने की प्रतिबद्धता रेखांकित हुई। डॉ जाट ने जोर देकर कहा कि कृषि विकसित भारत के विजन के केन्द्र में है, और युवा पीढ़ी इस लक्ष्य को साकार करने में निर्णायक भूमिका निभा रही है। उन्होंने छात्रों से कृषि के माध्यम से नवाचार, नई सोच और राष्ट्रीय सेवा को अपनाने का आग्रह किया, और इसे केवल एक पेशा नहीं बल्कि राष्ट्र के लिए 'सेवा' का एक रूप बताया।

सत्र का समापन डॉ जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (शिक्षा), भाकृअनुप, के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने कृषि शिक्षा तथा अनुसंधान में उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए भाकृअनुप की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
इस इवेंट में, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई, डॉ. अनुपमा सिंह, डीन और जॉइंट डायरेक्टर (एजुकेशन) , भाकृअनुप-आईएआरआई तथा भाकृअनुप और एग्रीकल्चरल एजुकेशन सेक्टर के कई सीनियर लोग भी शामिल हुआ।
नेशनल एग्रीकल्चरल स्टूडेंट्स सम्मेलन एग्रीकल्चरल एजुकेशन, रिसर्च और पॉलिसी को भारत के युवाओं की उम्मीदों के साथ जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारत को एग्रीकल्चर में ग्लोबल लीडर तथा विकसित भारत का सच्चा उदाहरण बनाने के सामूहिक इरादे को मज़बूत करता है।
(सोर्स: भाकृअनुप-इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली)







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