4 सितंबर, 2025, खड़गपुर और कोलकाता
पश्चिम बंगाल के कृषि-स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को गति देने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना - कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र पुनरुद्धार हेतु लाभकारी दृष्टिकोण (आरकेवीवाई-रफ़्तार) योजना के अंतर्गत, कृषि-खाद्य व्यवसाय इनक्यूबेशन केन्द्र (एएफबीआईसी), आईआईटी खड़गपुर तथा भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता द्वारा संयुक्त रूप से एक वर्चुअल कृषि-स्टार्टअप बूट कैंप का आयोजन किया गया।
कृषि-उद्यमियों, स्टार्टअप्स, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और केवीके से जुड़े किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के लिए डिज़ाइन किया गया यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण था क्योंकि एएफबीआईसी, आईआईटी खड़गपुर, पश्चिम बंगाल के लिए नामित आरकेवीवाई-रफ़्तार इनक्यूबेटर है।
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने राज्य में कृषि-उद्यमिता के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मज़बूत संस्थागत समर्थन, रणनीतिक साझेदारियों और युवाओं द्वारा संचालित नवाचारों के साथ, पश्चिम बंगाल अपनी ग्रामीण क्षमता का दोहन कर सकता है और 2047 तक विकसित भारत के विज़न में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

बूटकैंप में इस योजना के प्रमुख समर्थन स्तंभों तथा अवसरों पर प्रकाश डाला गया:
•वित्तीय सहायता - विचार-स्तर के नवाचारों के लिए ₹5 लाख तक और शुरुआती विकास वाले स्टार्टअप्स के लिए ₹25 लाख या उससे अधिक तक का अनुदान, ताकि अवधारणा से व्यावसायीकरण तक संक्रमण को सुगम बनाया जा सके।
•इनक्यूबेशन और मेंटरशिप - एएफबीआईसी के माध्यम से विशिष्ट सेवाएं, जिनमें सह-कार्यस्थल, प्रयोगशाला पहुंच, बौद्धिक संपदा और कानूनी सहायता, तकनीकी मेंटरशिप तथ व्यवसाय विकास सहायता शामिल है।
•रणनीतिक विकास के अवसर - बाज़ार संपर्क, मूल्य श्रृंखला एकीकरण, जलवायु-अनुकूल व्यवसाय मॉडल तथा निवेशक जुड़ाव के माध्यम से स्थायी कृषि-उद्यमों पर ध्यान केन्द्रित करना।
इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल भर के 72 कृषि-स्टार्टअप तथा जमीनी स्तर के नवप्रवर्तकों ने भाग लिया। एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र ने विशेषज्ञों के साथ सीधे जुड़ाव, विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और इनक्यूबेशन एवं वित्त पोषण के तरीकों पर स्पष्टता लाने में मदद की।
कार्यक्रम के समापन पर, आयोजकों ने ग्रामीण नवप्रवर्तकों का मार्गदर्शन करने तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों, इनक्यूबेटरों और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे राज्य में स्केलेबल और टिकाऊ कृषि-उद्यमों के लिए एक मजबूत आधार तैयार होगा।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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