4 जुलाई, 2025, रंगा रेड्डी
भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के तकनीकी मार्गदर्शन में, रंगा रेड्डी जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में 1.5 एकड़ भूमि पर बागवानी-चारागाह फसल प्रणाली स्थापित की गई। इस वृक्षारोपण की औपचारिक शुरुआत डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-क्रीडा ने की।

यह एकीकृत प्रणाली शुष्क भूमि कृषि में उत्पादकता, स्थिरता और आय विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए फलों के पेड़ों को चारागाह फसलों के साथ जोड़ती है। रोपी गई फल प्रजातियों में शामिल हैं:
जामुन (सिज़ीगियम क्यूमिनी) - किस्म: बाहुडोली; दूरी: 8 मीटर × 8 मीटर; फल देने से पहले की अवधि: लगभग 48 महीने
शहतूत (मोरस प्रजाति) - किस्म: अगेट; दूरी: 8 मीटर × 8 मीटर; फल लगने से पहले की अवधि: 9-12 महीने
नींबू (सिट्रस ऑरेंटिफोलिया) - किस्म: बालाजी; दूरी: 8 मीटर x 8 मीटर; फल लगने से पहले की अवधि: 24-26 महीने
लक्ष्मणफल / सोरसोप (एनोना म्यूरिकेटा) - दूरी: 8 मीटर x 8 मीटर; फल लगने से पहले की अवधि: 24-26 महीने
चारे की उपलब्धता बढ़ाने के लिए, हेज ल्यूसर्न (डेसमैन्थस विरगेटस), किस्म वेल्लीमसाला, को चारा घटक के रूप में 30 सेमी x 10 सेमी की दूरी पर लगाया गया, जिसकी कटाई केवल 6 महीने में पूरी होगी।
इस समग्र मॉडल का उद्देश्य एकीकृत चारा उत्पादन के माध्यम से पशुधन पोषण को बढ़ावा देते हुए कृषि लचीलापन, मृदा स्वास्थ्य तथा संसाधन उपयोग दक्षता में सुधार करना है।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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