उपलब्धियां

भारतीय बागवानी की झलक

  • फलों और सब्जियों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश।
  • आम, केला, नारियल, काजू, पपीता, अनार आदि का शीर्ष उत्पादक देश।
  • मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश।
  • अंगूर, केला, कसावा, मटर, पपीता आदि की उत्पादकता में प्रथम स्थान
  • ताजा फलों और सब्जियों के निर्यात में मूल्य के आधार पर 14 प्रतिशत और प्रसंस्करित फलों और सब्जियों में 16.27 प्रतिशत वृद्धि दर।
  • Mango-Ambika.jpg Tomato-VRTH-611.jpg PotatoKufriSurya.jpg OnionBhimaShakti.jpg
  • बागवानी पर समुचित ध्यान केंद्रित करने से उत्पादन और निर्यात बढ़ा। बागवानी उत्पादों में 7 गुणा वृद्धि से पोषण सुरक्षा और रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई।
  • कुल 72,974 आनुवंशिक संसाधन जिसमें फलों की 9240, सब्जी और कंदीय फसलों की 25,400, रोपण फसलों और मसालों की 25,800, औषधीय और सगंधीय पौधों की 6,250, सजावटी पौधों की 5300 और मशरूम की 984 प्रविष्टियां शामिल हैं।
  • आम, केला, नीबू वर्गीय फलों आदि जैसी कई बागवानी फसलों के उपलब्ध जर्मप्लाज्म का आणविक लक्षण वर्णन किया गया।
  • 1,596 उच्च उत्पादक किस्मों और बागवानी फसलों (फल-134, सब्जियां-485, सजावटी पौधे-115, रोपण फसलें और मसाले-467, औषधीय और सगंधीय पौधे-50 और मशरूम-5) के संकर विकसित किये गये। इसके परिणास्वरूप केला, अंगूर, आलू, प्याज, कसावा, इलायची, अदरक, हल्दी आदि बागवानी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
  • सेब, आम, अंगूर, केला, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनन्नास, चीकू, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, फूलगोभी आदि की निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण किस्मों का विकास किया गया।
  • विभिन्न फलों, सब्जियों, औषधीय एवं सगंधीय पौधों में प्रसंस्करण के उद्देश्य और विभिन्न जैविक और अजैविक दबावों की प्रतिरोधी किस्मों का विकास किया गया।
  • जैवप्रौद्योगिकी के प्रयोग से बैंगन और टमाटर की पराजीनी किस्मों का विकास किया गया।
  • त्र Multiplication-Quality-Planting-Materialsनीबू वर्गीय फलों, केला, अमरूद, आलू, कसावा और शकरकंद रोगमुक्त, अच्छी गुणता की रोपण सामग्री के उत्पादन के लिए उन्नत तकनीकों का विकास किया गया। विभिन्न फलों, मसालों और वानस्पतिक प्रवर्धित पौधों के लिए सूक्ष्म प्रवर्धन तकनीकों का मानकीकरण किया गया।
  • केला, नीबू वर्गीय फलों, अंगूर और काली मिर्च में विषाणु, जीवाणु, कवक और सूत्रकृमि की जांच के लिए सेरोलॉजिकल और पीसीआर आधारित नैदानिक तकनीकें विकसित की गयीं।
  • अंगूर में सूखा और लवणता सहिष्णुता के लिए मूलसामग्री (डागरिज और IIOR) की पहचान की गयी। नीबू वर्गीय फलों, सेब, अमरूद और आम की मूलसामग्री की पहचान की गयी।
  • स्थान के लम्बवत और आधारवत प्रयोग के लिए, अमरूद में बाग लगाना और केला तथा अनन्नास में सघन रोपण प्रौद्योगिकी का विकास किया गया।
  • सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए विभिन्न शीतोष्ण और समशीतोष्ण फलों के लिए छत्रक प्रबंधन पद्धतियों का मानकीकरण किया गया।
  • आम, अमरूद, बेर और आंवला के पुराने बागों के जीर्णोद्धार की प्रौद्योगिकी विकसित की गयी।
  • Fertigation-Bananaकई बागवानी फसलों के लिए सूक्ष्म सिंचाई पद्धति और उर्वरकीकरण प्रौद्योगिकी द्वारा जल और पोषण दक्षता बढ़ायी गयी।
  • टिकाऊ लाभ के लिए नारियल, सुपारी, बेर और आंवला के लिए अन्तः सस्यन और बहुस्तरीय फसल प्रणाली का विकास किया गया।
  • सफेद मूसली, नीबू घास, पामरोजा, सेना आदि औषधीय पौधों के लिए अच्छी कृषि क्रियाओं का विकास किया गया।
  • कट फ्लावर और औषधीय पौधों के उत्पादन में कम समय में ही भारत ने महत्वपूर्ण तरक्की की है।
  • पिछले दशक में मशरूम उत्पादन में तेजी आयी है जिससे मशरूम उत्पादक किसानों और उद्यमियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर में बेहद सुधार हुआ है। उच्च उत्पादक ऑयस्टर और ब्लू ऑयस्टर मशरूम की प्रजातियों और उत्पादन प्रौद्योगिकी का मानकीकरण किया गया है।
  • Protected-Cultivationविभिन्न सब्जियों और सजावटी पौधों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए सुरक्षित उत्पादन का मानकीकरण किया गया है। उच्च उत्पादकता, गुणवत्तापूर्ण उत्पाद और कम कीमत के कारण यह प्रौद्योगिकी लोकप्रिय हो रही है।
  • विषाक्त कीटनाशियों पर निर्भरता कम करने के लिए, इकोफ्रैंडली बायो एजेन्ट जैसे ट्राइकोग्रामा, एनपीवी, पायथियम, पेसिलोमाइसिस आदि का विकास किया गया। मृदाजनित रोगाणु जैसे फ्यूजेरियम, रिजोक्टोरिया, पायथ्यिम, फाइटोफ्थोरा और पादप परजीवी सूत्रों के प्रबंधन के लिए ट्राइकोडर्मा, पी थियोरेसेन्रा, एस्परजीलियस आदि के प्रभावी प्रभेद अलग किये गये।
  •  Tractor-operated-raised-bed-weederफ्रूट हारवेस्टर, ग्रेडिंग और कटिंग मशीन, ड्रायर, आदि विकसित करके फसल हानि को कम करके फल तुडाई और फसल दक्षता बढ़ाने के
  • लिए फार्म मशीनरी का उपयोग किया गया।
  • फलों और सब्जियों के फार्म भंडारण के लिए कम लागत के पर्यावरण हितैषी कूल चैम्बर का विकास किया गया है।
  • आलू, अंगूर, मसाले में जर्मप्लाज्म संसाधनों, कीटों और रोगों पर डेटाबेस, सूचना और विशेषज्ञ पद्धति का विकास किया गया है।
  • Osmotically-Dehydratedनारियल, आम, अमरूद, आंवला, लीची, विभिन्न सब्जियों जैसे आलू, कंदीय फसलें, मशरूम आदि के कई मूल्य वर्धित उत्पाद विकसित किये गये हैं।
  • कसावा से अल्कोहल बनाने, कसावा स्टार्च आधारित प्लास्टिक, कसावा आटा और हस्तचलित कसावा चिप्स मशीन का पेटेंट लिया गया है।
  • प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए फसल विशिष्ट प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रम संबंधित संस्थानों/निदेशालयों/राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्रों द्वारा चलाये जा रहे हैं।
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