कृषि अनुसंधान मांग-आधारित और परिणामोन्मुख होना चाहिए: डॉ. जाट
17-18 जुलाई, 2025, पटना
डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) ने पटना स्थित भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर का दौरा किया और वहां चल रहे अनुसंधान, शिक्षा एवं विस्तार गतिविधियों की समीक्षा की। दो दिवसीय दौरे के दौरान, डॉ. जाट ने दो प्रमुख सुविधाओं, एक बहु-उपयोगी बिक्री काउंटर और जलवायु-अनुकूल कृषि अनुसंधान हेतु एक ओपन टॉप चैंबर (ओटीसी) का उद्घाटन किया।

डॉ. जाट ने संस्थान के प्रायोगिक क्षेत्रों, प्रयोगशालाओं, पशुधन और मत्स्य अनुसंधान इकाइयों का दौरा किया तथा पूर्वी भारत के विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों में छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए संसाधन-कुशल कृषि मॉडल के प्रयासों की सराहना की।
वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारियों के साथ बातचीत में, उन्होंने संस्थान को भारतीय कृषि के प्रति समर्पित सेवा के 25 वर्ष पूरे करने पर बधाई दी। उन्होंने पूर्वी भारत की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला और भविष्य की अनुसंधान प्राथमिकताओं पर ज़ोर दिया, जिनमें चावल-परती प्रणालियों का गहनीकरण, प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का मानकीकरण, जलवायु-अनुकूल तकनीकों को अपनाना, और ओटीसी तथा रेनआउट शेल्टर जैसे उन्नत बुनियादी ढाँचे का उपयोग शामिल है।
महानिदेशक (भाकृअनुप) ने धान की परती भूमि में बची हुई मिट्टी की नमी का उपयोग करने के लिए ड्रोन आधारित हवाई बुवाई का प्रयोग करने का आग्रह किया और किसानों के खेतों में एकीकृत कृषि प्रणालियों (आईएफएस) को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। "एक टीम - एक कार्य" दृष्टिकोण पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को समर्थन देने के लिए मांग-आधारित, परिणाम-उन्मुख अनुसंधान का आह्वान किया तथा विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत संस्थान के योगदान की सराहना की।

डॉ. जाट ने किसानों के साथ सहभागी बीज उत्पादन पर ज़ोर दिया और बिहार तथा पूर्वी भारत में कृषि विकास को गति देने के लिए हितधारकों के साथ परामर्श हेतु इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सीधे बुवाई वाले चावल किस्म (डीएसआर) का प्रशिक्षण ले रहे किसानों से भी बातचीत की और इसे अपनाने तथा इसके विस्तार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
इस कार्यक्रम में "प्रयास" नामक प्रकाशन का विमोचन किया गया, जो सात पूर्वी राज्यों के हाशिए पर पड़े किसानों तक संस्थान की पहुँच को दर्शाता है, और कौशल-से-किसान समृद्धि नामक एक प्रमुख पहल का शुभारंभ भी किया गया, जो कौशल विकास के माध्यम से सीमांत किसानों को सशक्त बनाने की एक प्रमुख पहल है। टमाटर ग्राफ्टिंग तकनीक को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाले एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए।

यात्रा की शुरुआत वृक्षारोपण से हुई और इसमें संस्थान की किस्मों, प्रौद्योगिकियों, पंजीकृत पशुधन नस्लों और प्रकाशनों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी शामिल थी।
कार्यक्रम में डॉ. अनूप दास, निदेशक, भाकृअनुप-आरसीईआर; डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पटना; और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर, पटना)
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