3 दिसंबर, 2025, हैदराबाद
एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स रिसर्च एसोसिएशन (एईआरए) का 33वां वार्षिक सम्मेलन 1 से 3 दिसंबर, 2025 तक भाकृअनुप–नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट, हैदराबाद, में आयोजित किया गया। आएफपीआरआई–साउथ एशिया, आईसीआरआईएसएटी और आकआईएस के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन "एग्रीबिजनेस में इनोवेशन, कृषि में महिलाओं को सशक्त बनाना एवं जलवायु-अनुकूल कृषि" विषयों पर केन्द्रित था। इस कार्यक्रम में उद्घाटन तथा समापन सत्र, संगोष्ठियों, स्मारक व्याख्यानों, तकनीकी सत्रों, पैनल चर्चाओं, पोस्टर प्रस्तुतियों और नीतिगत संवादों के माध्यम से उच्च-स्तरीय चर्चाओं के लिए प्रमुख शोधकर्ता, नीति निर्माता, शिक्षाविद तथा उद्योग हितधारक एक साथ आए।

नीति आयोग के सदस्य, प्रो. रमेश चंद ने मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई तथा विकसित भारत के संदर्भ में कृषि नीति प्राथमिकताओं, तकनीकी परिवर्तन एवं किसानों की आय तथा लचीलेपन को बढ़ाने की रणनीतियों पर एक ज्ञानवर्धक संबोधन दिया।
डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, आईसीआरआईएसएटी और डॉ. ए.के. सूद, उप-प्रबंध निदेशक, नबार्ड, ने सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया और भारत के कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत समर्थन, नीतिगत ढांचे तथा उभरते अवसरों पर अपना विचार साझा किया।
उद्घाटन सत्र के दौरान, डॉ. पी.के. जोशी, अध्यक्ष, एईआरए, ने सम्मेलन के विषयों के महत्व पर जोर दिया, जबकि के डॉ. अंजनी कुमार, सचिव, एईआरए, ने एसोसिएशन का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत किया।
सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. समरेंदु मोहंती ने अध्यक्षीय संबोधन दिया, जिसमें राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संबोधित करने और नवाचार-संचालित कृषि-खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने में कृषि अर्थशास्त्रियों की बदलती भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
डॉ. गोपाल लाल, निदेशक, भाकृअनुप-नार्म, ने सम्मेलन की मेजबानी के विशेष महत्व पर ध्यान दिया क्योंकि नार्म अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है।
इस कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण डॉ. जी.के. चड्ढा स्मारक व्याख्यान था, जिसे प्रो. विजय पॉल शर्मा, सीएसीपी, अध्यक्ष, ने "भारत में कृषि मूल्य नीति: विकास, मुद्दे और चुनौतियां" विषय पर दिया।
भाकृअनुप-नार्म, आएफपीआरआई, आरआईएस और आईसीआरआईएसएटी द्वारा तीन विशेष संगोष्ठियों, पैनल चर्चाओं और नीतिगत संवादों का आयोजन किया गया, जिसमें कई समकालीन मुद्दों को संबोधित किया गया। पूर्ण सत्र में, संयोजकों ने अपने संबंधित विषयों के तहत प्रस्तुत शोध पत्रों का सारांश प्रस्तुत किया।

इस सेशन में मुख्य अतिथि प्रो. एस. महेंद्र देव, चेयरमैन, ईएसी-पीएम ने “विकसित भारत 2047 के विज़न को हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र की नीतियां” विषय पर संबोधन दिया।
तीन दिनों के दौरान, 150 से ज़्यादा रिसर्च पेपर और पोस्टर पेश किए गए, जिन्होंने कृषि अर्थशास्त्र में सबूत-आधारित नीतिगत सिफारिशों और इनोवेशन में योगदान दिया। इस कॉन्फ्रेंस ने शिक्षाविदों, उद्योग और सरकार के बीच सार्थक सहयोग को बढ़ावा दिया, जिससे भारत की कृषि नीति एवं अनुसंधान परिदृश्य को आकार देने में इसकी भूमिका मजबूत हुई।
इस कार्यक्रम में लगभग 350 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो इस विषय में युवा विद्वानों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
(स्रोत: भाकृअनुप-नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट, हैदराबाद)







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