21 अगस्त, 2025, तिरुचिरापल्ली
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र ने अपना 32वां स्थापना दिवस और किसान मेला "धन और स्वास्थ्य के लिए स्मार्ट केले की खेती" विषय पर मनाया, जिसमें लगभग 1,000 किसानों ने भाग लिया।
डॉ. तुषार कांति बेहरा, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु ने गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के उत्पादन में एनआरसीबी के प्रयासों की सराहना की और उद्यमिता, बाजार संपर्क तथा एफपीओ की भूमिका पर ज़ोर दिया।
डॉ. आर. सेल्वराजन, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीबी अपने अध्यक्षीय संबोधन में दो उत्कृष्ट क्लोनों के विमोचन की घोषणा की - एनआरसीबी सिलेक्शन 16, एक प्रो-विटामिन ए-समृद्ध किस्म (ग्रैंड नैन से 10 गुना अधिक), तथा एनआरसीबी सिलेक्शन 19, एक उच्च उपज देने वाली, रोग-प्रतिरोधी पचा लादन किस्म। उन्होंने विविधता सुनिश्चित करने के लिए आठ जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों के विमोचन और जीआई-टैग और पारंपरिक केलों को बढ़ावा देने पर भी प्रकाश डाला।
श्री एस. अन्नादुरई, निदेशक, जनजातीय विकास बोर्ड, चेन्नई ने केला-आधारित जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिए भाकृअनुप-एनआरसीबी के साथ एक समझौता ज्ञापन की घोषणा की।
डॉ. आर. थंगावेलु, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने एकीकृत कीट प्रबंधन पर बल दिया।

डॉ. पी. गोविंदराज, निदेशक, भाकृअनुप-गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर ने किस्म विकास, फसल प्रबंधन और मूल्य संवर्धन में एनआरसीबी के योगदान की सराहना की।
इस वर्ष, एनआरसीबी ने बायोरिएक्टर तकनीक का उपयोग करके 25 जिलों में 78,000 ऊतक-संवर्धित पौधों की आपूर्ति की, केवल 1 मिली भ्रूणजन्य कोशिका निलंबन से 40,000 पौधे उत्पन्न किए, और चार मिलियन से अधिक विषाणु-मुक्त मातृ पौधों को प्रमाणित किया। इस प्रकार, एआई, आईओटी, ड्रोन और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करने वाली स्मार्ट कृषि तकनीकों ने उपज में कमी के बिना पानी के उपयोग में 25-30%, नाइट्रोजन में 50% और पोटेशियम में 25% की कमी की। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश में फ्यूजेरियम विल्ट प्रबंधन परियोजनाएँ लागू की गईं। इसके अतिरिक्त, 10 प्रशिक्षण कार्यक्रमों और 246 क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से 13,000 से अधिक प्रतिभागियों को लाभ हुआ।
इस अवसर पर, जनजातीय कल्याण विभाग (तमिलनाडु), जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड (महाराष्ट्र) और नागालैंड सरकार के साथ तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम में तीन पैम्फलेट और तीन नए उत्पादों का विमोचन तथा एससीएसपी उप-योजना के तहत अनुसूचित जाति के किसानों को 4,000 ऊतक-संवर्धित केले के पौधे वितरित किए गए।
उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए, किसानों, एफपीओ, उद्यमियों, केवीके और तकनीकी कर्मचारियों को 20 पुरस्कार प्रदान किए गए। "केले की खेती और मूल्य श्रृंखला में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) हस्तक्षेप" और "केले की उत्पादकता बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री" पर पैनल चर्चाओं में किसानों और हितधारकों ने भाग लिया। 20 से अधिक प्रदर्शनी स्टालों पर केले की खेती में नवाचारों का प्रदर्शन किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली)
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