10 अगस्त, 2019, मेरठ
सेना के अधिकारियों की टीम ने पूरे भारत में स्थित सैन्य फार्मों के साथ भाकृअनुप-सीआईआरसी की सहयोगी परियोजना की गतिविधियों को देखने के लिए भाकृअनुप-केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ का दौरा किया।
लेफ्टिनेंट जनरल गोपाल आर, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, बलिदान पदक, क्वार्टर मास्टर जनरल, एकीकृत मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (सेना) ने टीम का नेतृत्व किया। लेफ्टिनेंट जनरल गोपाल आर. ने राष्ट्रीय नस्ल फ्राइज़वाल के विकास में रक्षा मंत्रालय और भाकृअनुप के सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने फील्ड प्रोगेनी टेस्टिंग जैसे कार्यक्रम के माध्यम से भारत के विभिन्न स्थानों में किसानों को सर्वश्रेष्ठ रैंक वाले बैल के वीर्य को प्रसारित करने के लिए भाकृअनुप-सीआईआरसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने अलग-अलग एमडीएफ में स्थित सर्वश्रेष्ठ जानवरों को भाकृअनुप-सीआईआरसी में उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया ताकि अभिजात पशुओं को संभ्रांत झुंड में शामिल किए जाने के लिए मेरठ में खरीदे और स्थानांतरित किया जा सके।
टीम ने वीर्य जमने वाली प्रयोगशाला और बुल रियरिंग यूनिट का भी दौरा किया।
कर्नल डी. एस. राठौर, प्रभारी, सैन्य डेयरी फार्म, मेरठ ने फ्राइज़वाल परियोजना की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए भाकृअनुप-सीआईआरसी के साथ नस्ल विकास और सुधार कार्यक्रम में 37 एमडीएफ के कार्यों के बारे में भी बताया।
डॉ. एन. वी. पाटिल, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईआरसी ने मवेशियों की फ्राइज़वाल नस्ल विकसित करने की दिशा में व्यवस्थित प्रजनन योजना तैयार करने और इसे लागू करने में संस्थान की भूमिका से अवगत कराया। डॉ. पाटिल ने कहा कि यह उत्पादन के लिए निर्धारित लक्ष्यों और प्रजनन प्रदर्शन जैसे अन्य मापदंडों को पूरा करता है।
भाकृअनुप-सीआईआरसी के वैज्ञानिकों और सैन्य डेयरी फार्म के अधिकारियों के साथ बातचीत-सत्र के दौरान मवेशियों की राष्ट्रीय नस्ल 'फ्राइज़वाल' के विकास के लिए रक्षा मंत्रालय और भाकृअनुप के 32 सालों के सहयोग और प्रगति को रेखांकित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ)
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