भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा ऊंटनी के दूध को विक्रय तथा व्यापार के लिए विशेष मानदंड के साथ खाद्य पदार्थ की मान्यता प्रदान प्रदान की गई है। मानदंडों के अनुसार ऊंटनी के दूध में 3 प्रतिशत वसा तथा 6.5 ठोस वसा (एसएनएफ) मौजूद होना चाहिए। इस पहल से सुरक्षा एवं पोषक घटकों को लेकर उपभोक्ताओं में विश्वास बनने के साथ ही भरोसे में बढ़ोतरी भी होगी।
यह सफलता भाकृअनुप- राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर के लगातार प्रयासों के द्वारा प्राप्त की गई है।
ऊंटनी के दूध पर हुए अनुसंधानों द्वारा विश्वसनीय प्रमाण स्वरूप इसे मानव स्वास्थ्य के लिए औषधीय गुणों वाला पाया गया है। यह दूध मधुमेह के नियंत्रण, यकृत एवं वृक्क के रोगों में उपयोगी होने के साथ ही बच्चों में ऑटिज्म के मामलों में अपनी कार्यात्मक खाद्य मूल्य और मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा कई संक्रामक रोगों के प्रति रोधी एवं गुणकारी पाया गया है।
आईसीएआर- एनआरसीसी द्वारा ऊंट को दुधारू पशु के रूप में स्थापित करने पर ध्यान दिये जाने के साथ ही उन्नत नरों तथा बेहतर दूध उत्पादक या वंशावली वाली मादाओं को चिन्हित करने तथा संरक्षित करने का भी प्रयास किया जा रहा है।
(स्रोतः भाकृअनुप- राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)








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