9 नवंबर, 2016, अंतरराष्ट्रीय जैवविविधता, नई दिल्ली
प्रथम अंतरराष्ट्रीय कृषि जैवविविधता सम्मेलन (आईएसी) का उद्घाटन 6-9 नबम्बर, 2016 को नई दिल्ली में किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भोजन, पोषण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए कृषि जैवविविधता के न्यायसंगत तथा प्रभावी प्रयोग पर बल के साथ सभी आनुवंशिक संसाधन संरक्षण और प्रबंधन में लगे हुए विषयगत वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श को मंच प्रदान करना था।



सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया गया। इस कार्यक्रम में श्री राधा मोहन सिंह, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री; पद्म विभूषण प्रो. एम.एस स्वामीनाथन; पद्म भूषण आर.एस. परोदा; डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप; डॉ. एम. एन्न टुटवाइलर (महानिदेशक, अंतरराष्ट्रीय जैवविविधता) तथा डॉ. प्रेम माथुर मंच पर थे। प्रधानमंत्री महोदय ने अपने संबोधन में कृषि जैवविविधता के महत्व तथा पर्यावरण एवं कृषि में सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक जननद्रव्य के आदान-प्रदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारी कृषि व्यवस्था युगों-युगों से प्राकृतिक संसाधनों के सम्मान तथा संरक्षण पर आधारित है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम इनका न्यायोचित प्रयोग करें ।



आईएसी का आयोजन इंडियन सोसायटी ऑफ रिसोर्स प्लांट जेनेटिक (आईएसपीजीआर) तथा बायोडाइवर्सिटी इंटरनेशनल के संयुक्त प्रयासों के तहत किया गया जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप), पौध किस्म संरक्षण एवं किसान अधिकार प्राधिकरण (पीपीवी एंड एफआरए) (कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय), राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चर साइंस (टास), राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास), एम.एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) तथा एशिया पेसिफिक एशोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूशन (अपारी) के साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रायोजकों ने सहभागिता की।
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प्रथम अंतरराष्ट्रीय कृषि जैवविविधता सम्मेलन के लिए भारत सबसे उपयुक्त स्थान है क्योंकि यह देश विश्व के सर्वाधिक विविधताओं वाले देशों में से एक है। भारत के पास विश्व के पूरे भूभाग में मात्र 2.4 प्रतिशत ही है लेकिन फिर भी यहां 91,000 जीवों की प्रजातियां, 45,000 वनस्पतियों की प्रजातियों (सीबीडी, 2014) के साथ ही पूरे विश्व में दर्ज प्रजातियों की 7-8 प्रतिशत उपस्थिति है। |
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““हमें कृषि जैवविविधता का संरक्षण करना चाहिए जिससे जलवायु परिवर्तन के दौर में खाद्य, स्वास्थ्य तथा आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।” ” |
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“वैज्ञानिक विधि से उपलब्ध कृषि जैवविविधता के संरक्षण व प्रयोग में देशों की सहायता तथा उपलब्ध समृद्ध पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय कृषि जैवविविधता फंड’ की स्थापना की गई है। इस संदर्भ में एक मजबूत निजी व सार्वजनिक साझेदारी की आवश्यकता है जिससे मानवता की भलाई के लिए आवश्यक आनुवांशिक संवर्धन में महत्वपूर्ण कृषि जैवविविधता के विशाल प्रयोग की दिशा में निवेश को बढ़ाया जा सके।” - आर.एस. परोदा . |
इस सम्मेलन में 60 देशों के 900 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सम्मेलन में प्रतिनिधियों द्वारा संरक्षण के विभिन्न पहलुओं, प्रबंधन, कृषि जैवविविधता के प्रयोग पर 16 सत्रों, चार सेटेलाइट, एक इनेबैंक गोलमेज सत्र, सार्वजनिक मंच, किसान मंच तथा पोस्टर सत्र का आयोजन किया गया।
विस्तृत व्याख्यानों पर आधारित, प्रतिनिधियों ने एकमत से निम्नलिखित घोषणाओं को समापन सत्र में अपनाया जो 9 नवम्बर, 2016 को सम्पन्न हुआ।








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