3 दिसंबर, 2016, राहुरी
मृदा परीक्षण फसल अनुक्रिया पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (एमपीकेवी), राहुरी में 3 दिसंबर, 2016 को किया गया।
डॉ. के.पी. विश्वनाथ, कुलपति, एमपीकेवी, राहुरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में मृदा परीक्षण आधारित पौध पोषण प्रबंधन लक्षित उत्पादन पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने एसटीसीआर प्रौद्योगिकी की व्यापक स्वीकृति से संबंधित आग्रह किया।
डॉ. एस.के. चौधरी, सहायक महानिदेशक (एसडब्ल्यूएम) मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में मृदा परीक्षण आधारित पौध पोषण प्रबंधन लक्षित उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने एसटीसीआर टीम के योगदान एवं मृदा स्वास्थ्य मिशन में एसटीसीआर प्रौद्योगिकी को अपनाने से संबंधित प्रयासों की प्रशंसा की। इसके साथ ही उन्होंने एसटीसीआर द्वारा जीपीएस और जीआईएस आधारित मृदा ऊर्वरता मानचित्रण के महत्व के बारे में चर्चा की। डॉ. चौधरी ने एआईसीआरपी- एसटीसीआर की प्रगति रिपोर्ट तथा दूसरे प्रकाशनों को भी जारी किया।
डॉ. ए.के. पात्र, निदेशक, भाकृअनुप- भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, विशिष्ट अतिथि ने अपने संबोधन में एसटीसीआर प्रौद्योगिकी को अपनाने के महत्व पर बल दिया। डॉ. पात्र ने मृदापरीक्षण में एसटीसीआर प्रौद्योगिकी को अपनाने तथा मृदा स्वास्थ्य मिशन की चुनौतियों से निपटने के लिए त्वरित मृदा परीक्षण तथा स्वचालन के क्षेत्र में भाकृअनुप - भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के विकास कार्यों पर प्रकाश डाला।
डॉ. प्रदीप डे (परियोजना समन्वयक, एसटीसीआर) ने अपने संबोधन में भारत में मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने तथा फसलों की उत्पादकता में विकास के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला, जो किसानों के लिए उपलब्ध संसाधनों पर आधारित अनुशंसित मात्रा में जैविक खाद एवं उर्वरक देने पर निर्भर है। इसके साथ ही उन्होंने हाल के एसटीसीआर परियोजना के विकास कार्यों पर बल दिया तथा वैश्विक विकास पर राष्ट्रीय दृष्टि पर भी चर्चा की।
‘एसटीसीआर ऐट क्रॉसरोडः इम्प्रूविंग प्रोडक्टिविटी एंड नेट रिटर्न बेस्ड ऑन रिसोर्स इनडॉवमेंट ऑफ फार्मर्स विदाउट कंप्रोमाइजिंग सॉयल हेल्थ एंड इनवायरमेंट क्वालिटी’ विषय पर गोलमेज सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों ने भावी कार्यों के बारे में सुझाव दिया।
कार्यशाला के दौरान अनुसंधान उपलब्धियों तथा एआईसीआरपी- एसटीसीआर परियोजना की भविष्य की प्रौद्योगिकियों की समीक्षा विभिन्न तकनीकी सत्रों में की जाएगी तथा वर्ष 2017-20 की भावी कार्ययोजनाएं भी तय की जाएंगी।
120 से अधिक भाकृअनुप संस्थानों के प्रतिनिधियों, एसएयू तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रगतिशील किसानों ने इस कार्यक्रमों में भाग लिया।
(स्रोतः भाकृअनुप – भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल)
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