श्री परषोत्तम रूपाला ने ‘भूमि सुपोषण और संरक्षण’ पर राष्ट्रीय वेबिनार का किया उद्घाटन

श्री परषोत्तम रूपाला ने ‘भूमि सुपोषण और संरक्षण’ पर राष्ट्रीय वेबिनार का किया उद्घाटन

15 अप्रैल, 2021

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र और अक्षय कृषि परिवार, नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से आज ‘भूमि सुपोषण और संरक्षण’ पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया।

श्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने बतौर मुख्य अतिथि केवीके से आग्रह किया कि वे किसानों को ‘भूमि सुपोषण और संरक्षण’ के बारे में जागरूक करें। मृदा क्षरण को एक गंभीर मुद्दे के रूप में देखते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि मृदा को समृद्ध और संरक्षित किए बिना सतत तरीके से अधिक उपज प्राप्त नहीं की जा सकती। मंत्री ने अपने संबोधन में जैविक कचरे के पुनर्चक्रण, 'हर मेड़ पर पेड़', जैविक खेती, जैव कीटनाशकों का उपयोग, स्वदेशी गाय पालन, आदि पर ज़ोर दिया।  

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डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने मृदा स्वास्थ्य में गिरावट, उत्पादक मृदा की ऊपरी परत के नाश होने और उर्वरकों के अधिक उपयोग के प्रति अपनी चिंताएँ व्यक्त कीं। महानिदेशक ने एकीकृत खेती, मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने के साथ किसानों की आय दोगुनी करने, मृदा उर्वरता प्रबंधन, जैविक खेती और रसायनों के कम उपयोग पर भी जोर दिया। डॉ. महापात्र ने केवीके से अन्य संगठनों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया।

डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने उपजाऊ मिट्टी की रक्षा करने, उर्वरकों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करने, जैविक खेती, फसल पालन में पशुपालन घटक को एकीकृत करने, मिट्टी को जीवित रखने, मृदा जैव विविधता की रक्षा करने और मृदा संरक्षण के उपाय अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नीम कोटेड यूरिया ज्यादा उपयोगी है।

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श्री अजीत केलकर, सदस्य, भूमि सुपोषण राष्ट्रीय अभियान ने मृदा स्वास्थ्य के निर्माण में जैविक कार्बन व सूक्ष्म जीवों के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अधिक जुताई, एक फसल, उर्वरक-केंद्रित दृष्टिकोण और शाकनाशी के अधिक उपयोग से बचने पर जोर दिया।

डॉ. एन. एच. केलावाला, कुलपति, कामधेनु विश्वविद्यालय, गांधीनगर ने मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वामित्व लेने का आग्रह किया। उन्होंने प्राकृतिक ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए कूबड़ पशु (बॉससिंडिकस) की विशेष शक्ति पर दबाव डाला। उन्होंने पूरे देश में उच्च तापमान में गायों को बनाए रखने की क्षमता पर जोर दिया।

डॉ. वल्लभभाई कठिरिया, पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय कामधेनु अयोग ने केवीके से राष्ट्रीय स्तर पर ‘भूमि सुपोषण एवं संरक्षण पर जन जागरण अभियान’ में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने स्थायी कृषि और आजीविका सुरक्षा के लिए गाय आधारित अर्थव्यवस्था की मदद पर जोर दिया।

डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे, महाराष्ट्र विलेज ने मिट्टी की रक्षा करने और पशुधन को खेती का एक अभिन्न अंग बनाने के लिए प्रेरकों या भूमि रक्षक की पहचान करने पर जोर दिया।

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लगभग 11 ICAR-ATARI निदेशक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा के निदेशक, कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुखों और वैज्ञानिकों ने भी आभासी तौर पर वेबिनार में भाग लिया।  

देश भर में 722 केवीके का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 780 प्रतिभागियों ने आभासी तौर पर कार्यक्रम में भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थानपुणेमहाराष्ट्र)

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