21 - 22 मई, 2020, बेंगलुरु, कर्नाटक

भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु ने 21 से 22 मई, 2020 तक ‘फसल कीटों के जैविक नियंत्रण पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना’ की आभासी 29वीं वार्षिक कार्यशाला का आयोजन किया।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने अपने उदघाटन संबोधन ने अनुसंधान संगठनों से आग्रह किया कि वे संभावित जैव-नियंत्रण उत्पादों के परीक्षण, सत्यापन और पंजीकरण के लिए निजी कंपनियों के साथ साझेदारी को मजबूत करके व्यावसायीकरण से आगे बढ़ें। महानिदेशक ने कीटनाशकों के अनुप्रयोगों को कम करने के लिए कंपनियों को सलाह देने के उपायों की तलाश करने पर जोर दिया। जैव कीटनाशक उत्पादों को पंजीकृत करने के लिए विष-विज्ञानी डेटा के उत्पादन के लिए सरकारी वित्तपोषण की खोज पर जोर देते हुए डॉ. महापात्र ने निजी कंपनियों को पर्याप्त क्षेत्र-परीक्षण और पंजीकरण के बाद उत्पादों को बढ़ावा देने की अनुमति देने पर जोर दिया।
राज्य सरकार के साथ सक्रिय सहयोग स्थापित करने पर सहमति व्यक्त करते हुए महानिदेशक ने कृषि विज्ञान केंद्रों से अधिक क्षेत्र प्रदर्शन और प्रशिक्षण आयोजित करने का आग्रह किया। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों, विशेषकर सिक्किम में जैविक नियंत्रण पर क्षेत्रीय परीक्षण करने पर भी जोर दिया। डॉ. महापात्र ने होनहार जैव-कारकों (बायो-एजेंट्स) के लिए आणविक हस्ताक्षर बनाने और मान्यता प्राप्त नोडल केंद्रों में जमा करने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. तिलक राज शर्मा, उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने जैव-कारकों के स्थानीय आइसोलेट्स के उपयोग की आवश्यकता और सामाजिक-आर्थिक विशेषज्ञ विश्लेषण के माध्यम से उनके प्रभाव का अध्ययन करने पर जोर दिया। डॉ. शर्मा ने रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में जैव-कारकों के बाजार हिस्सेदारी का अध्ययन करने का आग्रह किया। संयंत्र-कीट-सूक्ष्मजीव पारस्परिक क्रिया और जैव-कारकों की स्थिरता एवं मेजबान रेंज पर अनुसंधान आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए महानिदेशक ने जैव-कारकों को लागू करने के लिए जैव-कीटनाशकों और ड्रोन के लिए नैनो-वाहक विकसित करने पर भी जोर दिया। डॉ. शर्मा ने जैव-नियंत्रण कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे एंटोमोपैथोजेनिक नेमाटोड्स के साथ रोगाणुओं के सहयोग का अध्ययन करें और जैव-कारकों के उत्पादन को बढ़ाने के तरीके विकसित करें।
उन्होंने एआईसीआरपी बीसी को भाकृअनुप-राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, रायपुर; भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली और भाकृअनुप-राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली के साथ सहयोग करने की सलाह दी।
डॉ. पी. के. चक्रवर्ती, सदस्य, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड एवं पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक (पीपी और जैव सुरक्षा) और डॉ. राजन, अतिरिक्त महानिदेशक (पीपी और जैव सुरक्षा) ने सूक्ष्मजीव जैव-कीटनाशक उत्पादों के पंजीकरण पर अपने विचार साझा किए।
डॉ. (सुश्री) चंदिश आर. बल्लाल, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएआईआर, बेंगलुरु और परियोजना समन्वयक, फसल कीटों के जैविक नियंत्रण पर एआईसीआरपी ने इससे पहले स्वागत संबोधन में 2019-20 की अवधि के लिए परियोजना के मुख्य बिंदुओं को रेखांकित किया। उन्होंने हाल ही में आक्रामक कीटों की निगरानी और प्रबंधन के साथ-साथ आक्रामक हमलों से निपटने के लिए की गई तैयारियों को भी रेखांकित किया।
कार्यशाला में भाकृअनुप-संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 89 वैज्ञानिकों और 9 कंपनी प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु)
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