24 जुलाई, 2019, जोधपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने आज जनजातीय उप-योजना- II के तहत 22 केवीके की वार्षिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया।
डॉ. एस. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोधपुर ने जनजातीय आबादी के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए आवंटित धन के विशेष उपयोग के लिए उन्हें क्रमिक आधार पर मुख्यधारा में लाने का आग्रह किया। डॉ. सिंह ने प्रवासन को जनजातीय की प्रमुख समस्याओं में से एक माना। उन्होंने कहा कि उत्पादकता और उत्पादन, विविध कृषि आय, आदि को बढ़ाने के लिए गतिविधियों को अपनाकर इसे अनुकूलित किया जा सकता है जिससे भेद्यता में कमी, संसाधनों तक पहुँच और आय में वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि जनजातियों की कुल आजीविका सुरक्षा को एक सहभागी मोड में पोषण सुरक्षा प्रदान करके एकीकृत रूप से संबोधित किया जाना जरूरी है ताकि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्रमिक तरीके से सुधर सके।
डॉ. पी. सी. चपलोत, प्रोफेसर, एमपीयूए&टी, उदयपुर ने राजस्थान में जनजातियों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं को तदनुसार संबोधित करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि केवीके द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों को अपनाने के बाद जनजातियों पर उनके प्रभाव का आकलन भी होना चाहिए।
डॉ. बी. एल. जांगिड, प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप-अटारी, जोधपुर ने जनजातीय क्षेत्रों में कम पानी की आवश्यकता वाले फसलों की शुरुआत के लिए आग्रह किया।
टीएसपी को लागू करने वाले लगभग 22 केवीके ने बैठक के दौरान वर्ष 2018-19 के लिए अपनी प्रगति और वर्ष 2019-20 के लिए कार्य योजना प्रस्तुत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)
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