26 अगस्त, 2025, ग्वालियर
किसानों की मेहनत के कारण ही आज हमारा देश दुनिया के कई देशों का पेट भर सकता है- श्री चौहान
श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री आज राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय सभागार में 64 वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी का उदघाटन किया।
इस अवसर पर श्री ऐदल सिंह कंषाना, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री, मध्य प्रदेश, डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), श्री प्रमोद कुमार मेहरदा, अपर सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार एवं डॉ. ए.के. नायक, उप-महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप, डॉ रतन तिवारी, निदेशक, भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल, डॉ. बी.आर. कंबोज, कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार एवं डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला, कुलपति, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय मंचासीन रहे।
मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि खेती मेरे रोम रोम में और किसान मेरी सांसों में बसा हुआ है। श्री चैहान ने कहा कि उत्पादन बढ़ाना है, लागत घटाना है और उत्पादन की ठीक कीमत किसानों को मिले यह सुनिश्चित करना है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा पिछले 14 साल में 86.5 मिलियन टन से बढ़कर 117.5 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ है। इन सालों में 44 फीसद उत्पादन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आज हमारे वैज्ञानिकों और किसानों की मेहनत के कारण गेहूं तथा जौ का इतना उत्पादन हो रहा है कि अपने देशवासियों का ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों का पेट भर सकते हैं। अब जरूरत है फसलों के विवधीकरण की, जितने गेहूं की आवश्यकता हो उतना गेहूं और उतनी दाल, चावल व तिलहनी फसलों की पैदावार करें तथा आयातित दाल, चावल और तेल पर निर्भरता को कम करें। इसके लिए हमें नीतियां भी बनानी पड़ेंगी और उत्पादन भी बढ़ाना होगा। इस मौके पर उन्होंने, डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन और राजमाता विजयाराजे सिंधिया को याद करते हुए उनकी नीतियों की प्रशंसा की। इसके साथ ही उन्होंने बिना सर्टीफाइड के बेचे जा रहे नकली कीटनाशक कंपनियों पर कार्रवाई की बात कही।
इस अवसर पर, श्री कंषाना ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में 12 प्रांतों से आए वैज्ञानिकों द्वारा विचार विमर्श किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने अधिक उपज बढ़ाने की दिशा में बेहतर काम काम किया है। लेकिन उत्पादन अधिक लेने के लिए किसान फर्टीलाइजर का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं, इसके उपयोग पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि बाजार में इन दिनों नकली कीटनाशक बेधड़क होकर बिक रहे हैं जिस पर लगाम लगे, क्योंकि इनके उपयोग से किसानों की मेहनत बर्बाद हो रही है। उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खाद का उपयोग करने और गुणवत्ता पूर्ण फसल का उत्पादन करने की सलाह दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता, डॉ एम.एल. जाट ने की। उन्होंने एआईसीआरपी के माध्यम से गेहूँ उत्पादकता में 3.9 गुना (913 किग्रा/हैक्टर से 3560 किग्रा/हैक्टर) वृद्धि की सराहना की तथा 30 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को स्थिर रखते हुए 2030 तक 125 मिलियन टन और 2050 तक 150 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य प्रस्तुत किया।
डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि फसलों का उत्पादन बढने में भारत सरकार की किसान हितेषी योजनाऐं, वेज्ञानिकों के शोध कार्य एवं किसानों के अथक मेहनत का ही प्रतिफल है। लेकिन जहां एक ओर उत्पादन बढ़ा तो दूसरी ओर कई समस्याऐं भी बढी हैं। उदाहरण के तौर पर, पर्यावरण प्रदूषण का बढ़ना, अंधाधुंध फर्टिलाइजर का प्रयोग, जल स्तर का कम होना, कई प्रकार के खरपतवार की उत्पत्ति के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन का मुखर होना शामिल है। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिये आईसीएआर के पास एक पूरा तंत्र है जो विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।
डॉ. रतन तिवारी, निदेशक, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, द्वारा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
इस कार्यक्रम में उत्कृष्ट परीक्षण एवं रिपोर्टिंग हेतु सर्वश्रेष्ठ एआईसीआरपी केन्द्र पुरस्कार, गेहॅू अनुसंधान केन्द्र, विजापुर (फण्डेड सेन्टर) तथा वडूरा, एसकेयूएएसटी, कश्मीर (वॉलीन्ट्री सेन्टर) को प्रदान किया गया।
(स्रोतः भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, ग्वालियर)
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