5 जून, 2025, धलाई, त्रिपुरा
भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, धलाई को कृषि विकास एवं ग्रामीण परिवर्तन में इसके अनुकरणीय योगदान के लिए राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस), नई दिल्ली द्वारा सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय केवीके पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार एनएएएस स्थापना दिवस समारोह के दौरान प्रदान किया गया, जिसमें आईसीआरआईएसएटी के महानिदेशक, डॉ. हिमांशु पाठक और एनटीईपी की प्रमुख सलाहकार और डब्ल्यूएचओ की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, डॉ. सौम्या स्वामीनाथन सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया।
एनएएएस क्षेत्रीय केवीके पुरस्कार का उद्देश्य पूरे भारत में केवीके के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित कृषि नवाचारों को मान्यता देना, संस्थागत उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
भाकृअनुप-केवीके धलाई को किसानों की उत्पादकता, लाभप्रदता तथा आजीविका सुरक्षा बढ़ाने, युवा कौशल विकास, उद्यमिता को बढ़ावा देने और स्वरोजगार सृजन, बाहरी फंडिंग जुटाने और रिवॉल्विंग फंड का प्रभावी ढंग से उपयोग करने, किसान समूहों, समूह कार्रवाई और ज्ञान-साझाकरण पहलों को बढ़ावा देने और गुणवत्तापूर्ण विस्तार साहित्य प्रकाशित करने और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मान्यता दी गई।

त्रिपुरा के आकांक्षी और दूरस्थ जिले धलाई की सेवा करते हुए, भाकृअनुप-केवीके धलाई ने कृषि विस्तार में अग्रणी बनने के लिए भौगोलिक और अवसंरचनात्मक बाधाओं को पार किया है। इसने अनुसंधान और अभ्यास के बीच की खाई को सफलतापूर्वक पाट दिया है, किसानों को जलवायु-अनुकूल कृषि, एकीकृत कृषि प्रणाली और सटीक प्रौद्योगिकियों से परिचित कराया है।
सहभागी और समावेशी दृष्टिकोण अपनाकर, केवीके ने आदिवासी तथा सीमांत किसानों, महिलाओं तथा युवाओं को सशक्त बनाया है, खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण उद्यमिता और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान दिया है। ये मान्यताएं स्थानीय विभागों, गैर सरकारी संगठनों, एसएचजी एवं एफपीओ के साथ केन्द्र के प्रभावशाली सहयोग को और पुष्ट करती है।
क्षेत्रीय केवीके पुरस्कार 2025 केवीके धलाई की वैज्ञानिक नवाचार, समावेशी विकास तथा भारत के कृषक समुदायों के सशक्तिकरण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह संस्थान की भूमिका को एक आदर्श केवीके के रूप में पुष्ट करता है जिसका अनुकरण देश भर में अन्य लोग कर सकते हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्र, धलाई)
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