10 जून, 2025, पटना
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा संचालित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तेरहवें दिन बिहार एवं झारखंड में यह अभियान पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ जारी रहा।
इस दौरान वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों एवं अधिकारियों की टीमों ने ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से प्रत्यक्ष संवाद किया। किसानों को उन्नत, वैज्ञानिक एवं टिकाऊ कृषि तकनीकों की जानकारी दी गई। साथ ही, किसानों ने भी अपनी जमीनी समस्याएँ खुलकर साझा कीं, उनके समाधान मौके पर ही सुझाए गए।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक, डॉ. अनुप दास, डॉ. अभय कुमार एवं अन्य कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने झारखंड राज्य के कोडरमा जिले के मदनगुंडी तथा रामगढ़ जिले के केरिबंदा एवं जमीर गाँवों का दौरा किया। किसानों के साथ संवाद के दौरान यह पाया गया कि वे मिर्च में मुरझाने की बीमारी, मक्का में कीट प्रकोप जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, किसानों को मिट्टी की खराब सेहत, यंत्रों की कमी, अत्यधिक बीज दर का उपयोग, बीजों की अधिक लागत तथा संकर बीजों के कारण हर बार बीज खरीदने की आवश्यकता जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
कृषि विशेषज्ञों द्वारा आमदनी बढ़ाने के लिए पशुपालन विशेषकर सूअर, मुर्गी, बकरी पालन, बहुवर्षीय चारा फसलें, द्वितीयक कृषि गतिविधियाँ आदि को बढ़ावा देने के अवसरों पर बल दिया। धान और रबी फसलों के लिए सीधी बुआई, स्वर्ण श्रेया जैसी कम अवधि की धान की किस्में, शून्य जुताई तकनीक अपनाने की सलाह दी गई। झारखंड कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा पीएम-कुसुम, टपक सिंचाई प्रणाली पर अनुदान, किसान क्रेडिट योजना (केसीसी) आदि सरकारी योजनाओं की जानकारी भी साझा की गई।
इसी कड़ी में अटारी, पटना के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. डी.वी. सिंह ने अपनी टीम के साथ चतरा जिले के लड्कुआ एवं गया जिले के गोपालपुर गाँवों का दौरा किया, जिसमें संबंधित कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुख भी मौजूद थे। वहाँ उन्होंने किसानों से सीधा संवाद कर मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार उर्वरक प्रबंधन, जैविक खेती की तकनीक, वर्षा पर आधारित कृषि की रणनीतियाँ, तथा कृषि यंत्रों के समुचित उपयोग की विस्तृत जानकारी दी।
डॉ. आर.के. सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने कहा की ग्रामीण, सामुदायिक रेडियो और विश्वविद्यालयों के यूट्यूब चैनल से भी तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
इस अभियान का समन्वयन कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोन-IV, पटना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा किया जा रहा है।
(स्रोतः भाकृअनुप-अटारी, जोन- IV, पटना)
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