एडवांस्ड भूमि एवं जल प्रबंधन के लिए रिमोट सेंसिंग, जीआईएस तथा मशीन लर्निंग का उपयोग करने पर वर्कशॉप का किया आयोजन

एडवांस्ड भूमि एवं जल प्रबंधन के लिए रिमोट सेंसिंग, जीआईएस तथा मशीन लर्निंग का उपयोग करने पर वर्कशॉप का किया आयोजन

25 नवंबर, 2025, पटना

भाकृअनुप–पूर्वी क्षेत्र के लिए अनुसंधान परिसर, पटना ने बीएओमईटीआई, पटना द्वारा प्रायोजित 'एडवांस्ड भूमि और जल प्रबंधन के लिए रिमोट सेंसिंग, जीआएस तथा मशीन लर्निंग का उपयोग' विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता, भाकृअनुप-आरसीईआर, पटना के डॉ. आशुतोष उपाध्याय, निदेशक (प्रभारी), ने की, जिन्होंने आधुनिक कृषि में स्मार्ट डिजिटल तकनीकों की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला।

विभिन्न विभागों के प्रमुखों ने प्रतिभागियों को संबोधित किया, और फसलों, मत्स्य पालन, पशुधन तथा कृषि विपणन में डिजिटल नवाचारों से संबंधित प्रमुख मुद्दों और अवसरों पर चर्चा की।

डॉ. अनूप दास, निदेशक, भाकृअनुप-आरसीईआर, पटना, ने अपना संदेश देते हुए कहा:

“यह कार्यशाला पूर्वी भारत में भूमि और जल प्रबंधन में सुधार के लिए अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों को एकीकृत करने की हमारी निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

भाकृअनुप-आरसीईआर के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने जीआईएस और रिमोट सेंसिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग और स्मार्ट भूमि और जल प्रबंधन के लिए ड्रोन अनुप्रयोगों पर विषयगत व्याख्यान दिए।

Workshop on Harnessing Remote Sensing, GIS & Machine Learning for Advanced Land and Water Management Organised

इसके अतिरिक्त, आरएलबीसीएयू, झांसी के सहायक प्रोफेसर ने भूमि और जल प्रबंधन में डीप लर्निंग अनुप्रयोगों पर एक वर्चुअल व्याख्यान दिया।

विशेषज्ञों ने कृषि संसाधन प्रबंधन में सटीकता, स्थिरता एवं दक्षता को सक्षम करने में एआई-संचालित एनालिटिक्स की संभावना पर जोर दिया।

कार्यशाला का समापन एक इंटरैक्टिव समूह और पैनल चर्चा के साथ हुआ, जिससे विचारों का आदान-प्रदान, क्षेत्र-स्तरीय चुनौतियों की पहचान तथा भूमि एवं जल प्रबंधन प्रणालियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए सहयोगात्मक रास्ते तलाशने में सुविधा हुई।

बिहार सरकार के विभिन्न विभागों के कुल 24 अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 12 एटीएम/बीटीएम, 6 कृषि समन्वयक, 4 प्रखंड कृषि अधिकारी/प्रखंड बागवानी अधिकारी और 2 उप परियोजना निदेशक शामिल थे।

(स्रोत: भाकृअनुप–पूर्वी क्षेत्र के लिए अनुसंधान परिसर, पटना)

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