17-19 जुलाई, 2020, जोधपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर, राजस्थान ने 17 से 19 जुलाई, 2020 तक ‘केवीके, जोन- II की आभासी वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला’ का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कृषि विज्ञान केंद्रों से भूजल पुनर्भरण, एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडलों के विकास और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के निर्माण जैसे मुद्दों का समाधान करने का आग्रह किया। मंत्री ने केवीके को प्रगतिशील किसानों को लाभान्वित करने के साथ लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों के मुद्दों का समाधान करने की सलाह दी। उन्होंने निकट भविष्य में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा शुरू की जाने वाली अनुबंध खेती के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए केवीके को सुझाव दिया।
1980 के दशक में भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा टिड्डियों की समस्या पर अनुसंधान को रेखांकित करते हुए डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने केवीके से टिड्डी की आवाजाही की निगरानी करने और पर्यावरण पर कीटनाशकों की भारी खुराक के अनुप्रयोग के प्रभाव का अध्ययन करने का आग्रह किया। महानिदेशक ने फसल अवशेष प्रबंधन, भूजल पुनर्भरण, प्रवासी मजदूरों से संबंधित मुद्दों का समाधान करने, चावल-गेहूँ प्रणाली से विशेष रूप से हरियाणा में ग्रीष्मकालीन हरित-ग्राम, पारिस्थितिक स्थिरता आदि की शुरुआत के साथ केवीके के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने प्राकृतिक संसाधनों को समृद्ध करने, कस्टम हायरिंग केंद्रों द्वारा कृषि यंत्रीकरण के माध्यम से खेती की लागत को कम करने तथा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए आधुनिक तकनीक के साथ स्वदेशी तकनीकों के सम्मिश्रण पर जोर दिया।
डॉ. जे. एस. संधू, कुलपति, श्री करण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर, राजस्थान ने प्रयोगशाला से खेत तक प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के बीच समन्वय को मजबूत करने पर जोर दिया।
डॉ. एस. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोन-II, जोधपुर, राजस्थान ने वर्ष - 2019-20 की संक्षिप्त रिपोर्ट को रेखांकित किया। उन्होंने कोटा के सोया-पनीर और चिक्कौरगढ़ के गुलकंद बनाने के लिए गुलाब प्रसंस्करण पर अभिनव प्रगतिशील किसानों और एफपीओ पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के कुल 63 केवीके ने 2019-20 के दौरान की गई अपनी गतिविधियों को प्रस्तुत किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-II, जोधपुर, राजस्थान)
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