17 जनवरी, 2019, जम्मू
कृषि विज्ञान केंद्र, जम्मू ने आज एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-जागरूकता कार्यक्रम ‘पौधों की किस्मों का संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम (पीपीवी और एफआरए), 2001’ का आयोजन किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने प्रोफेसर पी. के. शर्मा, कुलपति, एसकेयूएएसटी-जम्मू और डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना की उपस्थिति में किया।
डॉ. ए. के. सिंह ने अपने उद्घाटन संबोधन में किसानों को पीपीवी और एफआरए के तहत किसानों के लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने किसानों को अधिनियम के लाभों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इस तथ्य को स्वीकार किया कि किसान फसलों की पुरानी किस्मों का संरक्षण और सुधार करने में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि अधिनियम में ऐसे किसानों/किसानों के समूह को पुरस्कृत करने के लिए कई प्रावधान हैं, जिन्होंने फसल की किस्मों के कई जर्मप्लाज्म (जनन द्रव्य) बनाए रखे हैं।
प्रोफेसर पी. के. शर्मा, कुलपति, एसकेयूएएसटी-जम्मू ने नई प्रौद्योगिकियों के विकास में विश्वविद्यालय के प्रयासों और उपलब्ध जैव विविधता के संरक्षण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसकेयूएएसटी-जम्मू सभी प्रकार की फसलों की किस्मों के जीन बैंक को विकसित करने की प्रक्रिया में है और किसानों से विश्वविद्यालय स्तर पर जीन पूल बनाए रखने के लिए उनके साथ उपलब्ध जर्मप्लाज्म को प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।
डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने पीपीवी और एफआर अधिनियम के संबंध में फसलों की विशिष्टता, एकरूपता और स्थिरता मानकों को विस्तार से बताया। उन्होंने सलाह दी कि प्रगतिशील किसानों को पीपीवी और एफआर अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के बारे में समग्र जागरूकता रखने के लिए ऐसे मुद्दों से अन्य किसानों को अवगत कराना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान, एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई जिसमें स्थानीय किसानों द्वारा लाए गए स्थानीय किस्मों/अनाज, दालों, फलों और अन्य फसलों को प्रदर्शित किया गया। पीपीवी और एफआर, 2001 के प्रावधानों पर हिंदी और अंग्रेजी में एक पुस्तिका भी किसानों को वितरण के लिए जारी की गई थी।
कार्यक्रम में 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया और पारंपरिक किस्मों की खेती पर अपने अनुभव साझा किए।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)
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