3 अक्टूबर, 2025, अल्मोड़ा
भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में आज “विकसित कृषि विकसित राष्ट्र" थीम पर आधारित 51वें कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। मेले का शुभारम्भ परिषद गीत से किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में, श्री अजय टम्टा, केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री, उपस्थित रहे। श्री टम्टा ने अपने उद्बोधन में संस्थान की उपलब्धियों पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि मैं जब भी केन्द्रीय स्तर पर कृषि से सम्बन्धित किसी बैठक में होता हूँ तो देश की कृषि प्रगति में अल्मोड़ा के विवेकानंद संस्थान का नाम सुनकर गौरवान्वित महसूस करता हूँ। उन्होंने कहा कि संस्थान आवश्यकता के अनुरूप अत्याधुनिक तकनीक, नकदी फसलों, मक्का, मंडुआ इत्यादि पर्वतीय फसलों की उन्नतशील प्रजातियों का विकास करने में सतत प्रयासरत रहा है। उनके अनुसार यदि आज का युवा बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में बदलकर रोजगार के अवसर ढूंढेगा तो उसे वास्तव में योग और आसन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। मंत्री ने कृषकों से अपील की कि ऐसे कृषि संस्थानों का लाभ लेकर अपने जीवन स्तर को अच्छा बनाने का प्रयास करें।
इस अवसर पर श्री अजय वर्मा, मेयर, नगर निगम, अल्मोड़ा, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि यदि आज का युवा लगन, तन्मयता व मेहनत से काम कर कृषि करे तो बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। हमारे उत्तराखंड की जलवायु एवं वातावरण इतना अच्छा है कि यहां फल, धान्य फसलों, सब्जियों का अच्छा उत्पादन मिल सकता है जो कि कृषकों की आय वृद्धि का स्रोत बन सकता है।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. जे.सी. भट्ट, पूर्व निदेशक, वीपीकेएएस, ने संस्थान की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा पर्वतीय फसलों की जो किस्में विकसित की गयी है वे पर्वतीय क्षेत्रों के साथ-साथ देश के अन्य क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन दे रही है।
इससे पहले, डॉ. लक्ष्मी कान्त, निदेशक, वीपीकेएएस, ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों, आगन्तुकों व कृषकों का स्वागत किया। निदेशक ने कहा कि संस्थान प्रत्येक वर्ष दो कृषि विज्ञान मेलों का आयोजन करता है, एक खरीफ मौसम से पहले और दूसरा रबी मौसम से पहले। यह कृषि विज्ञान मेला रबी मौसम से पहले किया जा रहा है। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा विगत वर्ष 14 संकर व सामान्य पर्वतीय फसल प्रजातियां विकसित की गयी है जिनमें मक्का की 5, मंडुआ की 3, धान व मटर प्रत्येक की दो-दो तथा मादिरा एवं चुआ की एक-एक प्रजाति सम्मिलित है। डॉ. कान्त ने मशरूम के पिन हैड जल्दी बनने में सहायक जीवाणु का भी जिक्र किया।
डॉ. आई.डी. भट्ट, निदेशक, गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी, ने संस्थान की उपलब्धियों पर संस्थान के निदेशक को बधाई दी और कहा कि संस्थान द्वारा विभिन्न प्रजातियों का अच्छा बीज उत्पादन कर उन्हें 24 राज्यों को वितरित किया जाना वास्तव में प्रशंसनीय है।
प्रगतिशील एवं पुरस्कृत कृषकों श्रीमती दीपा देवी, श्री मदन मोहन गिरी एवं श्री भूपेन्द्र सिंह सतवाल ने भी संस्था द्वारा प्रदत्त तकनीकियों हेतु आभार व्यक्त किया।
मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्थान की सब्जी मटर प्रजाति “वी.एल. माधुरी” का लोकार्पण किया गया। साथ ही संस्थान द्वारा प्रकाशित दो प्रसार प्रपत्रों नामत: “कटाई उपरान्त कृषि कार्यों का सरलीकरण: श्रम घटाएँ, दक्षता बढ़ाऍं” तथा “दूधिया मशरूम (कैलोसाइबी इन्डिका) की उत्पादन तकनीकी” का विमोचन भी किया गया।
अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत जिला- बागेश्वर के ग्राम- लखनी, तुपेड़, जिला- नैनीताल के ग्राम- अल्चुना एवं जिला- पौड़ी के ग्राम- ईडाधार के कृषकों को वी.एल. मंडुआ थ्रैशर, वी.एल. लाईट ट्रैप एवं वी.एल. स्मॉल टूल किट का वितरण इस अवसर पर किया गया।
किसान मेले में आयोजित प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनेक संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं लगभग 30 प्रदर्शनियां लगायी गयी।
इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों एवं विभागों के वैज्ञानिक एवं अधिकारी के अलावा विभिन्न क्षेत्रों से आये लगभग 650 कृषक भी उपस्थित थे।
(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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