30 सितंबर, 2025, अल्मोड़ा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस), अल्मोड़ा द्वारा ग्राम रैलाकोट में सोयाबीन एवं भट (काला सोयाबीन) प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया।
भारत सरकार की सोयाबीन की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत इस वर्ष सोयाबीन एवं भट की नवीन प्रजातियों वीएल सोया 89 एवं वीएल भट 202 की वैज्ञानिक खेती के अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन अल्मोड़ा जिले के ग्राम रैलाकोट, दिगोटी एवं निरई में लगाये गए थे, ताकि नवीनतम अनुसंधान उपलब्धियाँ सीधे किसानों तक पहुँच सकें और वैज्ञानिकों एवं किसानों के बीच संवाद स्थापित हो सके। समय समय पर वैज्ञानिकों की टीम द्वारा फसल का निरीक्षण भी किया गया तथा कृषकों को खरपतवारों, रोगों एवं कीटों से निपटने के सुझाव भी दिए गए ताकि किसान उत्पादन लागत घटाकर अधिक लाभ कमा सकें। कृषक सोयाबीन एवं भट की नयी प्रजातियों से काफी संतुष्ट हुए एवं उन्होंने पंक्तिवार बुवाई को काफी पसंद किया क्योकि इससे उन्हें निराई एवं गुड़ाई में काफी आसानी हुई।
इस अवसर पर डॉ लक्ष्मी कांत, निदेशक, वीपीकेएएस, ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सोयाबीन एवं भट पोषण सुरक्षा एवं आय सृजन दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण फसल है, ये फसलें भूमि की उर्वरता बढ़ाने, कृषि विविधता को बढ़ने एवं जलवायु सहिष्णुता में भी योगदान देती हैं। इन फसलों की उच्च मांग है, जिसके कारण इनके उत्पादन से किसानों को बेहतर बाजार मूल्य प्राप्त हो सकता है।
डॉ निर्मल हेड़ाऊ, विभागाध्यक्ष, फसल सुधर विभाग ने कृषकों को अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कराने के उद्देश्य को समझाया एवं किसानों के मनोबल को बढ़ाया।
संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों के खेतों में लगाए गए अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों का निरीक्षण भी किया। इस अवसर पर डॉ. कामिनी बिष्ट, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ राजेंद्र मीणा, वैज्ञानिक, श्रीमती निधि सिंह, तकनीकी अधिकारी ने सोयाबीन एवं भट की रोग-प्रतिरोधी उन्नत किस्मों के साथ-साथ मूल्य संवर्धन तकनीकों (जैसे टोफू, सोया दूध, दही आदि निर्माण), खरपतवार प्रबंधन तथा कीट प्रबंधन एवं संगठित होकर व्यवसायिक स्तर पर सोयाबीन एवं भट को लाभप्रद बनाने की जानकारी दी।
डॉ. अनुराधा भारतीय, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों का समन्वयन एवं प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम का संचालन किया गया।
कार्यक्रम में गांव के 48 कृषक, जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं, ने कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लेकर वैज्ञानिकों से संवाद किया और व्यावहारिक सुझाव प्राप्त किया।
(स्रोतः भाकृअनुप–विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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