जलवायु-अनुकूल मछली पालन प्रौद्योगिकियों पर वैज्ञानिक-मछुआरे बातचीत

जलवायु-अनुकूल मछली पालन प्रौद्योगिकियों पर वैज्ञानिक-मछुआरे बातचीत

5 जून, 2025, गोवा

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत भारत सरकार की जलवायु-अनुकूल तटीय मछुआरा गांवों (सीआरसीएफवी) पहल के एक हिस्से के रूप में, भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा ने कैकरा गांव में वैज्ञानिक-मछुआरा संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया। कैकरा गांव उन 100 तटीय गांवों में से एक है जिन्हें जलवायु-अनुकूल मछली पकड़ने के केन्द्रों में बदलने के लिए नामित किया गया है।

कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय आवश्यकताओं का आकलन करना और क्षेत्र के तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल टिकाऊ समुद्री कृषि प्रौद्योगिकियों को लागू करना था।

इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-सीसीएआरआई के निदेशक, डॉ. परवीन कुमार, नाबार्ड गोवा के उप महाप्रबंधक श्री विश्वास कदम तथा भाकृअनुप-सीसीएआरआई के वैज्ञानिक उपस्थित थे।

अपने संबोधन में डॉ. परवीन कुमार ने पारंपरिक कैप्चर फिशरीज पर निर्भरता कम करने के लिए जलवायु-अनुकूल जलीय कृषि पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने दीर्घकालिक मछली उत्पादन और आजीविका स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए समुद्री कृषि की क्षमता पर जोर दिया।

श्री कदम ने नाबार्ड के सहायता तंत्र को रेखांकित किया और सहकारी सदस्यों से सफलता सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता, समान जिम्मेदारी-साझाकरण और सामूहिक जवाबदेही बनाए रखने का आग्रह किया।

मछुआरों ने पिंजरे की स्थायित्व, तूफान की संवेदनशीलता, नियामक अनुमतियों और मौजूदा मछली पकड़ने की गतिविधियों के साथ टकराव से संबंधित प्रासंगिक चिंताओं को सक्रिय रूप से उठाया।

इस बातचीत में कुल 15 कैक्रा मछुआरों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)

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