भाकृअनुप-सीआईएफई ने मत्स्य पालन शिक्षा में उत्कृष्टता के 65वें गौरवशाली वर्ष का किया आयोजन

भाकृअनुप-सीआईएफई ने मत्स्य पालन शिक्षा में उत्कृष्टता के 65वें गौरवशाली वर्ष का किया आयोजन

6 जून, 2025, मुंबई

भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य पालन शिक्षा संस्थान, मुंबई ने आज अपना 65वां स्थापना दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया। इस अवसर पर भारत में मत्स्य पालन शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास में संस्थान के छह दशकों से अधिक के उल्लेखनीय योगदान को याद किया गया।

मुख्य अतिथि, श्री रामास्वामी एन., आईएएस, सचिव, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन, महाराष्ट्र सरकार ने मत्स्य पालन शिक्षा में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया और इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले मानव संसाधनों के पोषण के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, "ये क्षेत्र न केवल भारत की आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि हमारे लोगों के लिए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।" उन्होंने मछली पालन समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में भाकृअनुप-सीआईएफई के उत्कृष्ट कार्य की सराहना की और इस दिशा में निरंतर प्रयासों को प्रोत्साहित किया।

वर्सोवा विधानसभा क्षेत्र के विधान सभा सदस्य, श्री हारून खान और भाकृअनुप-सीआईएफई के पूर्व निदेशक, डॉ. दिलीप कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

ICAR-CIFE Celebrates 65 Glorious Years of Excellence in Fisheries Education

श्री खान ने देश भर में मत्स्य पालन की उन्नति में संस्थान की अमूल्य भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, "पिछले 65 वर्षों में, भाकृअनुप-सीआईएफई ने परिवर्तनकारी योगदान दिया है, जिससे पूरे भारत में मछुआरों की आजीविका में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है और यह विकास देश के समग्र विकास का अभिन्न अंग है।" उन्होंने संस्थान के भविष्य के विकास का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।

भाकृअनुप-सीआईएफई के कार्यवाहक निदेशक और कुलपति, डॉ. एन.पी. साहू ने संस्थान की यात्रा में उनके समर्पित योगदान के लिए पूर्व और वर्तमान संकाय, कर्मचारियों और छात्रों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, " भाकृअनुप-सीआईएफई मत्स्य पालन और जलीय कृषि शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक है। पिछले कई वर्षों में हमने प्रख्यात वैज्ञानिकों, दूरदर्शी नेताओं और समर्पित पेशेवरों को तैयार किया है।" डॉ. साहू ने महाराष्ट्र के मत्स्य पालन विकास में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला और इसके प्रसार और प्रभाव को मजबूत करने के लिए भविष्य की योजनाओं को साझा किया। 

समारोह के हिस्से के रूप में, कर्मचारियों और छात्रों को उनके उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन और संस्थागत विकास में योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए। विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई)

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