भाकृअनुप-एनआरसी में विकसित कृषि संकल्प अभियान का समापन समारोह तथा पशुधन क्षेत्र विकास पर विचार-विमर्श सत्र का आयोजन

भाकृअनुप-एनआरसी में विकसित कृषि संकल्प अभियान का समापन समारोह तथा पशुधन क्षेत्र विकास पर विचार-विमर्श सत्र का आयोजन

12 जून, 2025, मेडजीफेमा

भाकृअनुप-राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र मिथुन, मेडजीफेमा, नागालैंड ने आज 15 दिवसीय राष्ट्रीय अभियान विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के समापन समारोह के साथ-साथ ‘नागालैंड में पशुधन क्षेत्र के विकास’ पर विचार-विमर्श सत्र का आयोजन किया।

यह कार्यक्रम पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग (एएचवीएस), नागालैंड सरकार, भाकृअनुप-नागालैंड केन्द्र तथा भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केद्र (केवीके) दीमापुर के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसमें नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, पशु चिकित्सकों और किसानों को राज्य में पशुधन क्षेत्र को मजबूत करने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाया गया।

मुख्य अतिथि, भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त, डीएएचडी, डॉ. अभिजीत मित्रा ने समुदाय-संचालित पहल, जिला स्तर पर पशुधन नीतियों, मुर्गी पालन तथा मछली पालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ नागालैंड की सांस्कृतिक एवं कृषि पहचान के प्रतीक के रूप में मिथुन की ब्रांडिंग करने का आग्रह किया।

श्री विकेई केन्या, आईएएस, आयुक्त एवं सचिव, एएचवीएस, नागालैंड सरकार ने पशुधन आधारित आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से देशी नस्लों के संरक्षण, उत्पादकता बढ़ाने और महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया।

श्री म्हथुंग यंथन, कृषि सलाहकार, नागालैंड सरकार ने किसान-नीति संवादों के महत्व को रेखांकित किया और 2047 तक विकसित नागालैंड को प्राप्त करने के लिए यथार्थवादी, किसान-केन्द्रित रणनीतियों का आग्रह किया, जो कि विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि नागालैंड में सीएमएमएफआई के तहत 67.20% धनराशि पशुधन के लिए निर्देशित की गई है।

अरुणाचल प्रदेश सरकार के हाइड्रो पावर विभाग के सलाहकार और विधान सभा सदस्य, श्री निनॉन्ग एरिंग ने समावेशी विकास और विकसित भारत ढांचे के तहत पूर्वोत्तर को प्राथमिकता देने पर जोर दिया।

मिथुन पर भाकृअनुप-एनआरसी के निदेशक, डॉ. गिरीश पाटिल ने नागालैंड में पशुधन के आर्थिक महत्व और केन्द्रित नीति और अनुसंधान सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्य में उच्च मांस की खपत बनाम घटती पशुधन संख्या के विरोधाभास को इंगित किया, हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया।

तकनीकी सत्र में प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुति दी गईं।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेडजीफेमा, नागालैंड)

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