31 मई, 2025, अल्मोड़ा
29 मई से आरंभ हुए देशव्यापी 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के अंतर्गत, भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिक कृषि एवं संबद्ध विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर अल्मोड़ा जिले के विभिन्न गांवों के साथ ही चमोली जिले के विभिन्न गांवों में लगातार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। कार्यक्रम के तीसरे दिन संस्थान के विशेषज्ञों के 4 दलों द्वारा कृषि के अन्य रेखीय विभागों के कर्मियों के साथ अल्मोड़ा जिले के 25 गांवों का भ्रमण कर 534 कृषकों के साथ संवाद किया गया।
संवाद के दौरान विशेषज्ञों द्वारा कृषकों को खरीफ फसलों की उन्नत किस्में, उत्पादन एवं फसल सुरक्षा तकनीकों, और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से विकसित कृषि यंत्रों एवं उपकरणों की जानकारी दी गई साथ ही रेखीय विभागों द्वारा उन्हें केन्द्रीय एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से भी अवगत कराया गया। कृषकों द्वारा इन क्षेत्रों में पानी की कमी और बंदर व जंगली सूअरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने की समस्याएं विशेषज्ञों के साथ साझा की गयी।
अभियान के तीसरे दिन चमोली जिले के कैलाशपुर, जोशीमठ के 52 कृषकों के साथ वैज्ञानिकों ने वार्ता कर दूरस्थ एवं सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण वाइब्रेंट हिमालयी गांवों में जागरूकता और बुवाई पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। अभियान के चौथे दिन वैज्ञानिकों के दल द्वारा चमोली जिले के उच्च हिमालयी गांव फरकिया, बम्पा एवं कैलाशपुर के 146 कृषकों के साथ संपर्क किया गया।
इस क्षेत्र के कृषकों के अनुसार, सिंचाई का अभाव यहां की सबसे बड़ी समस्या है, क्योंकि अधिकांश खेत पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर हैं। सिंचाई के बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कृषि प्रणाली मौसम के उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिससे उत्पादकता सीमित हो जाती है। ठंड के मौसम में पानी को जमने से बचाने हेतु कृषकों ने टिकाऊ सिंचाई पाइपों की आवश्यकता पर जोर दिया। यहां के कृषकों द्वारा कटाई के बाद के नुकसान, विशेष रूप से सेब और खुबानी जैसी बागवानी फसलों में बेहतर कटाई-उपरान्त प्रौद्योगिकियों और मूल्य-वर्धित उत्पादों (जैसे जैम, जेली, तेल निष्कर्षण) के निर्माण के लिए छोटे पैमाने की मशीनरी में सहायता का अनुरोध किया है।
इसके अतिरिक्त, राजमा में कटवर्म जैसे कीटों और सेब के बागों को प्रभावित करने वाले विभिन्न कीटों का प्रकोप भी रिपोर्ट किया गया है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, विशेषज्ञों की टीम ने क्षेत्र की कृषि-जलवायु परिस्थितियों और जैविक उत्पादन प्रणालियों के अनुकूल एकीकृत कीट प्रबंधन पर महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत की हैं जो इस क्षेत्र की कृषि संबंधी समस्याओं और उनके संभावित समाधानों के निराकरण एवं इस क्षेत्र में स्थायी कृषि विकास के लिए आवश्यक हैं।
(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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