3 जून, 2025, अल्मोड़ा
भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक, डॉ. लक्ष्मीकान्त ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के अन्तर्गत चौखुटिया ब्लॉक के दिगौत गांव में कृषकों को विकसित कृषि संकल्प अभियान के उद्देश्य साझा किया। उन्होंने कृषकों से उनकी प्रतिक्रियाएं ली तथा उन्हें भविष्य में शोध में उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु भविष्य के शोध में शामिल करने का आश्वासन दिया। कृषकों द्वारा सिंचाई की व्यवस्था का दुरुस्त न होना, जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान तथा उन्नत प्रजातियों के बीजों का अभाव एवं समय से बीज, खाद, रसायनों की उपलब्धता न होना इसी क्रम में प्रमुख समस्याएं बतायी गयी।
नोडल अधिकारी, डॉ. कुशाग्रा जोशी ने आशा व्यक्त की है कि महिला किसानों को सशक्त बनाने से ही राज्य में कृषि की तस्वीर बदलेगी और महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी। अभियान के तहत कृषकों को पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विकसित की गई विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों जैसे मंडुआ, मादिरा और लाल धान की जानकारी के साथ ही कुरमुला नियंत्रण के लिए संस्थान द्वारा विकसित लाइट ट्रैप के उपयोग के विषय में बताया गया। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की महत्ता और मृदा नमूना विश्लेषण की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई। किसानों ने पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी और छोटी जोतों की समस्या बताई और भूमि समेकन (चकबंदी) की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्य सरकार से मांग रखी।
डॉ. दिनेश चन्द्र जोशी ने मडुवा उत्पादन की जानकारी दी तथा इस अवसर पर उन्हें हाल ही में जारी की गई नवीन मंडुआ किस्म ‘वीएल मंडुआ 400’ के बीज भी वितरित किए गए। पारंपरिक छिंटकवा विधि के स्थान पर मंडुआ की रोपाई विधि अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया गया। साथ ही, कदन्न फसलों की कटाई के बाद की कठिन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए मिलेट थ्रेशर की उपयोगिता के बारे में अवगत कराया गया।
अभियान के अंतर्गत संस्थान के वैज्ञानिकों ने कृषि एवं संबद्ध विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर छठे दिन अल्मोड़ा और चमोली जिलों के 36 गांवों का भ्रमण किया तथा 558 किसानों से सीधा संवाद कर उन्हें कृषि में नवाचारों को अपनाने हेतु प्रेरित किया गया। सल्ट ब्लॉक में प्रमुख खरीफ फसलों जैसे मण्डुआ, मिर्च, अदरक, हल्दी, कुल्थी आदि की उन्नत किस्मों एवं वैज्ञानिक खेती विधियों के साथ-साथ रोग-कीट प्रबंधन के उपायों की जानकारी किसानों को दी गई। क्षेत्र विशेष में उगाई जाने वाली ‘डाडा’ नामक स्थानीय पीली मिर्च की फसल में आ रही समस्याओं जैसे कटुवा कीट, मुर्झा रोग और कुरमुला के समाधान हेतु तकनीकी सुझाव प्रस्तुत किए गए।
जोशीमठ के पांच गांवों में आयोजित कार्यक्रम में 146 कृषकों से संवाद करते हुए विशेषज्ञों ने युवा प्रवासन पर विचार-विमर्श किया और ड्रोन तकनीक के प्रयोग से संबंधित मार्गदर्शन दिया। इसके अतिरिक्त चप्पन कद्दू, मटर, प्याज आदि की उन्नत रोपण सामग्री तथा खरीफ फसलों से संबंधित तकनीकी साहित्य का भी वितरण किया गया।
(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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