2 जून, 2025, अल्मोड़ा
विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत, भाकृअनुप–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों अल्मोड़ा और चमोली में कृषि जागरूकता और तकनीकी हस्तांतरण से संबंधित विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। संस्थान के वैज्ञानिकों ने कृषि एवं संबद्ध विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर इन जिलों के 32 गांवों में भ्रमण कर किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया तथा उन्हें कृषि से संबंधित नई तकनीकों, योजनाओं एवं समाधानपरक उपायों की जानकारी दी। इस कार्यक्रम के तहत कुल 547 कृषकों के साथ संवाद किया गया।
अभियान के पांचवें दिन संस्थान के वैज्ञानिकों की चार टीमों ने अल्मोड़ा जिले के 28 गांवों का भ्रमण कर 422 किसानों से संपर्क किया। अभियान के अन्तर्गत किसानों को अधिक लाभदायक और संसाधन-कुशल कृषि के लिए अन्य कृषिपूरक व्यवसाय भी अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। किसानों को उपयुक्त योजनाओं के अंतर्गत पंजीकरण करने, सब्सिडी का लाभ उठाने, और बेहतर उत्पादकता के लिए कृषि इनपुट्स की उचित योजना और उपयोग सुनिश्चित करने की सलाह दी। उपयुक्त, रोग प्रतिरोधी और बदलते जलवायु के अनुकूल उन्नत किस्मों को अपनाने के महत्व पर बल दिया। मृदा उर्वरता प्रबंधन, जिसमें संतुलित पोषक तत्व अनुप्रयोग, नियमित मृदा परीक्षण और जैविक खादों के समावेश की आवश्यकता, टिकाऊ प्रथाओं, जो दीर्घकालिक मृदा उत्पादकता को बढ़ा सकती हैं और किसानों को रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटाने में मदद कर सकती हैं, की जानकारी भी दी गयी।
स्याल्दे ब्लॉक के कृषकों को खरीफ फसलों जैसे सोयाबीन, गहत, सफेद मडुवा, धान विशेष रूप से लाल धान की खेती से संबंधित तकनीकी जानकारी भी प्रदान की गयी। डॉ. अशोक कुमार द्वारा कृषकों को सुगन्धित फसलों की खेती करने को कहा गया।
उत्तराखण्ड के चमोली जिले के जोशीमठ के कोसा, जेलम, कोथारसेंगला एवं डुंगरी गांव का भ्रमण वैज्ञानिक दल द्वारा किया गया। उनके द्वारा 125 कृषकों के साथ संवाद कर उन्हें रोग-कीट प्रबंधन, कटाई उपरान्त प्रयुक्त होने वाले यंत्र, खरीफ फसलों की उन्नत कास्ट से संबंधित जानकारी दी गयी तथा उन्हें सब्जी बीजों के वितरण के साथ ही एक मिक्सर ग्राइंडर भी प्रदान किया गया।
विभिन्न स्थलों में गोष्ठी का समापन एक संवादात्मक सत्र के साथ हुआ, जिसमें किसानों ने सक्रिय भागीदारी की, प्रश्न पूछे, और विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई जानकारी की सराहना की। यह आयोजन वैज्ञानिक अनुसंधान और जमीन पर की जा रही कृषि प्रथाओं के बीच की खाई को पाटने की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई, जिससे किसानों में जानकारी, लचीलापन और प्रगतिशील सोच को बढ़ावा मिला।
कार्यक्रमों का समापन सार्थक चर्चाओं और किसानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ हुआ। टीम ने सतत पर्वतीय कृषि प्रणाली के लिए तकनीकी सहयोग और अनुवर्ती सहायता का आश्वासन दिया।
(स्रोतः भाकृअनुप–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)
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