भाकृअनुप-अटारी जोन – VI और VII के केवीके के साथ ‘मिथुन के प्रचार और उसके ब्रांडिंग’ पर आभासी इंटरफेस कार्यशाला का हुआ आयोजन

भाकृअनुप-अटारी जोन – VI और VII के केवीके के साथ ‘मिथुन के प्रचार और उसके ब्रांडिंग’ पर आभासी इंटरफेस कार्यशाला का हुआ आयोजन

22 जून, 2020, मेडज़िपेमा, नागालैंड  

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भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केंद्र, मेडज़िपेमा, नागालैंड ने आज ‘मिथुन के प्रचार और उसके ब्रांडिंग’ पर एक दिवसीय आभासी इंटरफ़ेस कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जोन - VI और VII के कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से किया गया था।

डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप ने मिथुन पालन की अर्ध-गहन प्रणाली को परिवर्तक के रूप में मानते हुए किसानों को मिथुन पालन की व्यवस्था में विभिन्न अन्य प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए वैकल्पिक प्रणाली के लाभों के बारे में शिक्षित करने पर जोर दिया।

डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिन्हें केवीके द्वारा बड़े पैमाने पर शुरू किया जा सकता है तथा ग्रामीण युवाओं, किसानों और अन्य हितधारकों को उद्यमशील गतिविधि के रूप में मिथुन को बढ़ावा देने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है।

अपने स्वागत संबोधन में, डॉ. अभिजीत मित्रा, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केंद्र ने मिथुन की संभावनाओं – पूर्वोत्तर भारत के ऊँचे दर्जे के पशु पर प्रकाश डाला।

संस्थान की विभिन्न प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के पैकेज अर्थात मिथुन खनिज ब्लॉकों के पालन की अर्ध-गहन प्रणाली, क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण (μthimin), पोर्टेबल खनिज ब्लॉक डिस्पेंसर, फिक्स्ड टाइम (एआई एफटीएआई), मिथुन में दूध देने और इसके मूल्य वर्धन को भी वेबशाला के दौरान प्रस्तुति के साथ प्रदर्शित किया गया था।

अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड से कुल 26 केवीके; भाकृअनुप-संस्थानों के निदेशक, राष्ट्रीय ख्याति के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक तथा भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केंद्र, नागालैंड के कर्मचारी-सदस्यों ने वेबशाला में सक्रिय रूप से भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केंद्र, मेडज़िपेमा, नागालैंड)

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